खलीलाबाद से श्रावस्ती—बहराइच तक नयी रेल के जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू

खलीलाबाद से श्रावस्ती—बहराइच तक नयी रेल के जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू

अब्दुल मोबीन सिद्दीकी
उतरौला, बलरामपुर। खलीलाबाद से श्रावस्ती बहराइच तक नई रेल लाइन बिछाने का कार्य उतरौला में दिखाई देने से क्षेत्रवासियों में हर्ष है। नई रेल लाइन बिछाने के कार्य को लेकर उतरौला तहसील क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर मिट्टी की जांच, स्थलीय निरीक्षण, भौगोलिक स्थिति, चिंतन अधिग्रहण हेतु कास्तकारों से बातचीत रेल विभाग द्वारा जारी है। चिन्हित किए गए विभिन्न स्थानों के भूभाग पर रेल विभाग ने अपना पत्थर भी लगना शुरू कर दिया है। कार्यों की प्रगति को देखते हुए क्षेत्र वासियों में हर्ष व्याप्त है। बहु प्रतीक्षित खलीलाबाद से श्रावस्ती नई रेल लाइन कार्य को होता देख क्षेत्र वासियों ने रेलवे लव संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमल सिद्दीकी के संघर्ष ऑन की सराहना करते हुए कहा कि यह उनके लंबे संघर्षों का नतीजा है जो आज नई रेल लाइन बिछाने का कार्य हो रहा है तो तमाम लोगों ने इस कार्य में गोंडा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के प्रयासों को हम बताया। रेलवे लव संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमल सिद्दीकी ने बताया कि रेलवे द्वारा इसका मानचित्र सोशल मीडिया पर डाल दिया है। इस मानचित्र को लेकर लोगों में उत्साह है। साथ ही प्रदेश के इस इलाके के लोगों का सालों पुराना सपना पूरा होने जा रहा है। उन्हें आजादी के बाद अब जाकर ट्रेन की सुविधा मिलने वाली है। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। खलीलाबाद से बलरामपुर के रास्ते बहराइच तक नई रेल लाइन बनाने का प्रोजक्ट चल रहा है। इस 240 किमी लंबी रेल लाइन परियोजना में पटरियां बिछाने की तैयारियों के साथ ही स्टेशनों की ग्रेडिंग का काम भी लगभग पूरा हो गया है। इस रेल लाइन से जुड़े बलरामपुर स्टेशन के पास उतरौला क्षेत्र के लोगों को आजादी के बाद ट्रेन की सुविधा मिलेगी।

ट्रेन के सफर का सपना होगा पूरा
आजादी के बाद उतरौला तहसील के रहने वाले लगभग 10 लाख लोगों का ट्रेन से सफर करने का सपना साकार हो रहा है, क्योंकि नई रेलवे लाइन उतरौला से होकर गुजरने वाली है। 40 साल से रेलमार्ग का इंतजार कर रहे उतरौला क्षेत्रवासियों के इंतजार की घड़ियां खत्म होने वाली हैं। बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती व संतकबीरनगर जिले के लोगों को अब सीधी रेल सेवा का लाभ मिल सकेगा। बलरामपुर-उतरौला-खलीलाबाद रेलमार्ग का सीमांकन होने से लाखों लोगों की उम्मीदों को पंख लगने शुरू हो गए हैं। कई सालों से यहां की आबादी रेल लाइन से न जुड़ने से अपेक्षित विकास से महरूम थी। सर्वेक्षण के बाद जिन गांवों से होकर रेल की पटरी गुजरेगी, वहां पूर्वोत्तर रेलवे ने चिह्नांकन कर पत्थर लगाने का कार्य शुरू कर दिया है। बलरामपुर रेलवे स्टेशन से श्रीदत्तगंज के चवईबुजुर्ग तक पत्थर लगाने का कार्य चल रहा है। 128 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग के निर्माण के लिए अगले चरण में जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। जिन किसानों की जमीनें पटरी बिछाने के लिए ली जाएंगी, उन्हें रेलवे विभाग की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। वर्ष 1977 से क्षेत्र की जनता रेलवे लाइन के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। तत्कालीन सांसद नानाजी देशमुख ने रेलवे लाइन भिछाने का प्रस्ताव किया था। उस समय भी जगह-जगह पत्थर लगाकर सीमांकन कार्य करने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।

रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
128 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने तय हैं। रेल सेवा शुरू होने के बाद इस मार्ग पर स्थित रेलवे स्टेशनों पर छोटे व बड़े व्यापार करने का लोगों को मौका मिलेगा। इससे जहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी, वहीं पिछड़ेपन से जूझ रहे क्षेत्र का भी विकास तेजी से होगा।

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