Jaunpur News : खुद कि मां ने फेंका तो दूसरी मां ने अपनाया अज्ञात शिशु
मिलने से मचा हड़कम्प, बना चर्चा का विषय
विनोद कुमार
चन्दवक, जौनपुर। सरकार बेटियों को लेकर कई योजनाएं चला रही है। नारी सुरक्षा से लेकर बेटी पढ़ाओ अभियान जैसी न जाने कितनी योजनाओं को चलाकर समाज को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। आज की परिस्थितियों की अगर हम बात करें तो आज की बेटियां किसी से कम नहीं है। आज हर क्षेत्र में बेटियों ने कई मुकाम हासिल कर देश का मान बढ़ाया है। फिर भी न जाने क्यों आज भी बेटियों को घर की लक्ष्मी के बजाय हेय दृष्टि से देखा जाता है? ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है।
मालूम हो कि डोभी क्षेत्र अंतर्गत कोइलारी गांव में कोई महिला अपने नवजात बच्ची को सोनहा पोखरा मंदिर के समीप सड़क के किनारे गड्ढे में छोड़ चली गयी। राहगीरों ने देखा तो बात आग की तरह पूरे गांव में फैल गयी। सभी गांव के लोग इकट्ठा हो गये। गांव के ही भानु प्रताप पुत्र पंचदेव व उनकी पत्नी को पता चलते ही वे मौके पर पहुंचकर बच्ची को उठाये और पुलिस को सूचना दिये। ठंड से बच्ची की तबियत खराब होने से उसे सामुदायिक केंद्र डोभी ले जाया गया जहाँ बच्ची की हालत को नाजुक देख डाक्टरों ने उसे जौनपुर रेफर कर दिया। बच्ची को आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया। इलाज होने के बाद पुलिस व एनजीओ की मदद से भानु प्रताप को बच्ची गोंद देने की प्रक्रिया में जुट गए।
भानु प्रताप से वार्ता करने पर उन्होंने बताया कि उनको दो पुत्र है परंतु एक पुत्री न होने से कहीं न कहीं उनको अपना घर सम्पूर्ण नहीं दिखाई देता था, इसलिए बच्ची मिलने की खबर पर वह तुरंत वहां पहुँच दरियादिली दिखाते हुए बच्ची को अपने संरक्षण में लेने की इच्छा जाहिर की जिसका सभी गाँव के लोगों ने बहुत नम आंखों से स्वागत किया। उन्होंने बताया कि बच्ची को लेकर सुबह से लगे हैं। मुझे किसी भी कीमत पर बच्ची को लेना है। शनिवार को मुझे एनजीओ के जज से मिलने को कहा गया है। अब सवाल यह उठता है कि जिस माँ ने जन्म दिया उसने आखिर क्यों बच्ची को फेंक दिया? क्या कन्या होना पाप है? या समाज में कन्याओं को अभी भी हेय दृष्टि से देखा जा रहा है? हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है? यदि हमारे समाज में भानु प्रताप जैसे लोग नहीं रहेंगे तो इस समाज का होना न होना अर्थहीन है।