Jaunpur News : आजादी के अमृत महोत्सव की हकीकत
Jaunpur News : आजादी के अमृत महोत्सव की हकीकत
सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रह गया शहीदों का सम्मान
शहीद स्तम्भ के बिल्कुल पास बना शौचालय शूरवीरों के बलिदान का उड़ा रहा मखौल
तमाम जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में डालने के बाद भी किसी ने भी नहीं ली कोई सुध
विनोद कुमार
केराकत, जौनपुर। स्थानीय तहसील के नार्मल मैदान पर स्थित 1942 के स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए शूरवीरों के शहीद स्तंभ आज के समय में समाज और प्रशासन द्वारा पूरी तरह अपमानित और तिरस्कृत किया जा रहा है। नार्मल मैदान स्थित शहीद स्तंभ के बिल्कुल पास बने शौचालय की वजह से शहीदों की शहादत का मानमर्दन किया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर साल में दो बार शहीद स्तंभ पर ध्वजारोहण करने वाले उपजिलाधिकारी भी इस खबर से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं कि किस तरह शहीदों का अपमान किया जा रहा है।
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी जैसे देशभक्ति गीत गाकर देश के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास दर्शाकर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने वाले केराकत तहसील की जनता और प्रशासन शहीदों की शहादत को पूरी तरह से भुला दिया है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री की मुहिम हर घर तिरंगा की धूम दिल्ली के राजपथ से लेकर गांवों की पगडंडियों तक रही, मगर यह कहना गलत नहीं होगा कि साल भर चले आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान शहीदों के शहादत की हो रही उपेक्षा को पूरी तरह से दरकिनार किया गया। किसी ने भी उपेक्षित पड़े शहीद स्तंभ की तरह ध्यान देना उचित नहीं समझा। 11 वीर सपूतों के शहादत में बने नार्मल मैदान में शहीद स्तंभ से सटे शौचालय को जिम्मेदार समेत जनप्रतिनिधि जान बूझ नजरंदाज कर देते हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत खूब भाषणबाजी हुई कि शहीदों की शहादत के प्रति नई पीढ़ी को संवेदनशील बनाना है। शहीदों की गौरव गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए खूब जोश भरा गया लेकिन हकीकत यह है कि तमाम जनप्रतिनिधि इस मामले में संवेदनहीन हैं। शहीद स्तम्भ से सटे शौचालय से अवगत कराने के बाद भी उदासीन दिखे जनप्रतिनिधि शहीद स्तंभ से सटकर बने शौचालय के संबंध में जब खेल मंत्री गिरीश चंद यादव से टेलीफोनिक वार्ता की गई तो बताया गया कि मंत्री जी भोजन कर रहे हैं। इस संबंध में आप क्षेत्रीय विधायक से बात करें और आप शहीद स्तंभ का पूरा डिटेल व्हाट्सअप कर दीजिए, मगर व्हाट्सअप किये दो दिन बीत जाने के बाद भी किसी तरह कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी क्रम में सांसद बीपी सरोज से भी टेलीफोनिक वार्ता की गई परंतु वहां भी जवाब यही मिला। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक तूफानी सरोज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला अभी संज्ञान में नहीं है। कभी आयेंगे तो बताएंगे। विडंबना देखिए जिन शहीदों के शहादत को याद करने के लिए एक साल आजादी का अमृत महोत्सव चलाया गया, उनकी शहादत के हो रहे उपेक्षा से अवगत कराने पर भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान शहीद स्तंभ से सटे शौचालय पर नहीं जा रहा है।