Jaunpur News : काव्य गोष्ठीः दांव पड़ गया उल्टा भैया हक्का-बक्का
Jaunpur News : काव्य गोष्ठीः दांव पड़ गया उल्टा भैया हक्का-बक्का
राजीव पाठक
जौनपुर। मनीषी विद्या मंदिर लाइन बाजार साक्षी बना गीतों, गजलों औरघ् छंदों की बरसात का। अवसर था कोशिश की मासिक काव्य-गोष्ठी का जिसकी अध्यक्षता की प्रख्यात साहित्यकार प्रो. पी.सी. विश्वकर्मा ने और मुख्य अतिथि रहे नवोदय विद्यालय की पूर्व प्रवक्ता रामजीत मिश्र। वाणी वंदना के पश्चात सुशील दुबे का अवधी भाषा में गीत- जागा भोर भइल बोलय चिरइया, भजन करा रामजी के भइया। श्रोताओं के मन के तार छेड़ गया।
गिरीश जी का मुक्तक -अंधेरा खुद दिये की राह में आने से डरता है, अंधेरे से कभी डरके दिये ने सर झुकाया क्या? तम के सदैव हारने की कहानी सुना गया। जनार्दन अष्ठाना का गीत- फागुनी बयार आ गई फूल पर बहार छा गई। गोष्ठी में श्रृंगार का रंग बिखेर गया। अनिल उपाध्याय की कविता- इनके साथ होने पर उम्मीदों को पर लगता है, पर पुस्तक और पत्नी मोटी हो तो डर लगता है। सटीक असर कर गई। अशोक मिश्र का गीत- बिन बोले सब बात समझ ले ऐसी होती है बेटी, कभी न उर की गठरी खोले, ऐसी होती है बेटी, श्रोताओं को संवेदित कर गया।
प्रो. आर.एन. सिंह की रचना- दांव पड़ गया उल्टा इनका, भइया हक्का-बक्का, पता नहीं, हैंडिल गायब है, पंचर दोनों चक्का। राजनीति पर करारा तंज कस गई। प्रो. पी.सी. विश्वकर्मा का शेर- इतनी करम नवाज थी उसकी वफा कि यार बस, बिगड़ा अगर मिजाज तो ऐसी जफा कि यार बस। खूब पसंद किया गया। गोष्ठी में संजय सागर, फूलचंद भारती, अमृत प्रकाश, आशुतोष पाल, रेखा मिश्र, सुमति श्रीवास्तव, अरविंद मिश्र, संजय सेठ, रामकृष्ण पांडेय, राजेश पाण्डेय, सुरेन्द्र यादव, विनोद यादव, राजेन्द्र सिंह एडवोकेट आदि की सक्रिय भागीदारी रही। आभार श्रीमती दमयंती सिंह और संचालन अशोक मिश्र ने किया।
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