Jaunpur News : जाड़े में सावधान रहें, अन्यथा पड़ जायेगी जान सांसत मेंः डा. एचडी सिंह
शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। बढ़ती ठंड और गिरते तापमान से पूरी दुनिया खौफजदा रहती है। विभिन्न बैज्ञानिक शोधों और अध्ययनों द्वारा सत्यापित है कि यूरोप से लेकर अमेरिका और एशिया से लेकर अफ्रीका, रसिया, आस्ट्रेलिया या कहें पूरी दुनिया में है। इस वक्त में सबसे ज्यादा हार्ट अटैक होता है और यह भी मानना है। जाड़े में होने वाले हार्ट अटैक में मौतें अधिक होती है। ऐसे में गम्भीरता अधिक होती हैं। उक्त बातें जनपद के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. हरेन्द्र देव सिंह ने प्रेस को जारी एक बयान में कही। उन्होंने आगे बताया कि पूरे विश्व में दिसंबर व जनवरी में हृदयाघात, लकवे, ब्रेन हैमरेज से मृत्यु लगभग 40 प्रतिशत बढ़ जाती है।
इस मौसम में सबसे अधिक परेशानी बूढ़ों, बच्चों, हृदय, गुर्दा, लकवा के रोगियों को होती है। ठंड में ब्लड प्रेशर व मधुमेह के रोगियों का रक्तचाप और ब्लड शूगर बढ़ जाता है। अधिक ठंड की वजह से फ्रास्ट बाइट, अचानक मौत का भय बन जाता है जिससे ठंड हृदय रोगियों का दुश्मन साबित होता है। डा. सिंह ने कहा कि जनपद में दिसंबर व जनवरी में अत्यधिक मौतें ठंड के चलते होती हैं। हृदय रोग बढ़ने का कारण धमनियों में संकुचन होता है। अनियंत्रित मधुमेह, अनियंत्रित रक्तचाप, हृदय गति बढ़ने के कारण चय-उपाचय क्रिया बढ़ जाती है और हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि गर्म कमरों में कार्बन मोनोक्साइड की अधिकता और आक्सीजन की कमी हो जाती है। दिन छोटा व सूर्य के दर्शन कम होने से अवसाद व तनाव बढ़ जाता है।
शरीर को गर्म रखने के लिए स्मोकिंग ऐल्कहाल और नशा करना बढ़ जाता है। व्यायाम न करना निष्क्रिय जीवनशैली का होना जाड़ों में रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण कम रहना। हदयाघात के लक्षण के बारे में उन्होंने बताया कि सीने में बाईं तरफ दर्द जो हाथों की ओर या पीठ की ओर बढ़ने लगता है, दर्द असहाय और कुचलना सा लगना होता है। पसीना, उल्टी, शरीर का ठंडा पड़ना। शूगर के मरीज व बूढ़े लोगों को ठंडी में पसीना आना। कभी कभी पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द के साथ पसीना आना। मधुमेह के मरीज और बुढ़े मरीजों में सिर्फ जाड़े में पसीना आना रक्तचाप का गिरना। बचाव के बारे में डा. सिंह ने बताया कि बढ़ती ठंड में मदिरापान, धूम्रपान व कोल्ड एक्सपोजर से बचें। शयन कक्ष में हवा आने-जाने की व्यवस्था हो, बंद कमरे में विश्राम से बचें। सुबह सैर के प्रति सजग रहें, इस दौरान गर्म कपड़े पहनें। मोजे मफलरों गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करे। उच्च रक्तचाप व शर्करा को नियंत्रित रखें। अधिक चर्बीयुक्त भोजन से बचें। रात की लेट नाइट पार्टी में दारू पीकर ठंड में न निकले।
सर्दी, जुकाम, दमा, अटैक का समुचित व समय पर उपचार करायें। प्राथमिक उपचार के बारे में उन्होंने बताया कि मरीज तुरंत ऐसी जगह आ जाए जहां खुला व आक्सीजन हो। लेट जाए बिल्कुल पैदल न चलना। यह बहुत महत्व पूर्ण है। सीने में दर्द होने वाले सम्भावित मरीज को पैदल न चलायें। बार बार लंबी सांस लेकर खांसी करें। डिस्प्रीन की गोली चूसें, सर्बीट्रेट की गोली मिल जाए तो जीभ के नीचे रखें। सटैटिन और और खून पताका करने की और कोई गोली जैसे कलोपिडोग्रिल प्रसूगरेल टिकग्रिलार जैसी दवा खा ले। समय मिला डिस्पिरिन और सारबीट्रटे मृत्य ाव काफी कम कर देती है। कुछ नहीं तो केला खा सकते हैं। जो उसमें मैग्निसियम की वजह से मदद करता है तो तुरंत मरीज को अस्पताल पहुंचायंे और कुशल चिकित्सक से सलाह लें। प्रथम 2 से 4 घंटे गोल्डन टाइम है। इस समय में मिला ट्रीटमेंट 80 प्रतिशत मृत्यु दर कम हो जाती है।
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