विधिक जागरूकता शिविर में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की दी गई जानकारियां

विधिक जागरूकता शिविर में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की दी गई जानकारियां

बबेरू तहसील सभागार में हुआ आयोजन
रूपा गोयल
बांदा। सोमवार को उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं माननीय जिला जज/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बब्बू सारंग के निर्देशन में तहसील-बबेरु के सभागार में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम एवं महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर यौन शोषण से बचाव के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन श्रीमान श्रीपाल सिंह अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, की अध्यक्षता में किया गया। श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज/सचिव-जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत बताया गया कि इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा के लिए केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना करना शामिल हैं। उपभोक्ता अधिकारों और संस्थानों की शिकायतों अभियोजन के उल्लंघन की जांच करने, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश देने, अनुचित व्यापार चलनों एवं भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का आदेश देने आदि का अधिकार होगा। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को अपने मूल देश सहित रिटर्न, रिफण्ड एक्सचेंज वारंटी और गांरटी, डिलवरी एवं शिपमेंट भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण तन्त्र, शुल्क वापसी सम्बन्धित विकल्प आदि के बारे में सूचना देना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के अन्तर्गत ई-कॉमर्स प्लेटफार्म को 48 घण्टों के भीतर उपभोक्ता को शिकायत प्राप्ति की सूचना देनी होगी एवं शिकायत प्राप्ति की तारीख से एक माह के भीतर उसका निपटारा करना होगा। मनोहर, नायब तहसीलदार-बबेरु द्वारा बताया कि यदि किसी महिला के साथ कोई व्यभिचार, अश्लील ढगं से उनके कार्यस्थल अथवा घर पर किसी प्रकार का बाहरी अथवा घर के सदस्य द्वारा व्यवहार किया जाता है तो उसे तुरन्त संज्ञान में लेकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। महिला आयोग में ऐसी शिकायतें अत्याधिक मात्रा में होती है, इसलिए महिलाओं को चाहिए कि अपने साथ हो रहे व्यवहार पर गहन विचार कर स्पष्ट करना चाहिए कि यह कितना गलत अथवा सही है तथा भविष्य में किसी बड़ी अनहोनी से बचा जा सके। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आत्मचिंतन एवं स्व निर्णय के महत्व पर प्रकाश डाला तथा उन्होंने बताया कि महिलाओं को नकारात्मक स्थितियों से बचना चाहिए जो उनके सशक्त होने में बाधक है। भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं को परिवार की चल अचल सम्पत्ति पर मिलने वाले हक के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्रदान की तथा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा महिलाओं व बालिकाओं के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। जय गोपाल गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि कामगार महिलाओं का उनके कार्यस्थल पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए उन्हें स्वयं आवाज उठानी होगी क्योंकि सरकार द्वारा महिलाओं के मानसिक व शारीरिक शोषण को रोकने के लिए बनाये गये कानूनों को तभी अमल में लाया जा सकता है जबकि उनके द्वारा उसका विरोध दर्ज कराया जायें। राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं के साथ उनके आत्मसम्मान को बचाने व उनकी अस्मिता को बचाने हेतु सदैव तत्पर है एवं उनकी गोपनीयता को भी बनाये रखा जाता है। शिविर में श्रोतागणों के साथ सन्तशरण-तहसील लिपिक बबेरु, राशिद अहमद डीईओ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा तथा पराविधिक स्वयं सेवक अखिलेश द्विवेदी, बुद्धराज उपस्थित रहे।

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