उमेश कुमार ने बताये सुरक्षा के लिये दवा एवं छिड़काव
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र लेदौरा के उमेश कुमार विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि वानिकी ने मंगलवार को बताया कि इस समय कटहल में छोटे फलों के सड़ने की समस्या होती है जिसका कारण राइजोपस स्टोलोनिफर नामक कवक माना जा रहा है।
यह रोग राइजोपस सड़ांध कटहल के फूलों और युवा फलों का एक आम रोग है। यह फल पर एक नरम, पानीदार, भूरे रंग के धब्बे का कारण बनता है जो जल्द ही भूरे बाद में काले मोल्ड से आच्छादित हो जाता है। फलों के लक्षण पेड़ पर और भंडारण के समय दिखाई देते हैं। कटहल पर यह एक प्राथमिक रोग ज़नक़ है जो विकास के सभी चरणों में फलों को प्रभावित करता है जबकि अधिकांश अन्य फलों और सब्जियों पर राइजोपस कीड़ों और मौसम की घटनाओं के कारण होने वाले घावों या असामान्य वृद्धि के कारण होने वाली दरारों के माध्यम से संक्रमित होता है फलों की तुड़ाई के समय तने के सिरे पर भी संक्रमण हो जाता है खेत में गर्म, बरसात के दिन बीमारी के लिए अनुकूल होते हैं और भंडारण में उच्च तापमान और नमी इस रोग को बढ़ाने में सहायक होता है।
इस रोग का प्रसार हवा में बड़ी संख्या में बीजाणुओं द्वारा होता है। उत्तरजीविता मोटी दीवार वाले बीजाणुओं के रूप में होती है। बीजाणु लंबे समय तक सूखे और ठंड का सामना कर सकते हैं। इस रोग के फैलने के लिए काफी अनुकूल मौसम होने की वजह से कटहल के छोटे फलों का इस रोग की वजह से काफी नुकसान होता है।
कटहल में फल सड़न रोग का प्रबंधन करने के लिए सबसे पहले पेड़ों की कटाई छँटाई इस तरह से करें की हवा छतरी (कैनोपी) के माध्यम से स्वतंत्र रूप से आ जा सके और बारिश के बाद फल जल्दी से सूख जाए। पेड़ों और जमीन पर गिरे सभी उम्र के संक्रमित फलों को अविलम्ब हटा दें।
फलों की कटाई सावधानी से करें, चोट लगने या घाव बनने से बचें। इसी तरह फलों को भी सावधानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाय फलों को गर्म, कम हवादार, उच्च आर्द्रता वाले भवनों में रखने से बचें; हो सके तो फलों को 10°C से कम तापमान पर स्टोर करें। राइजोपस 4°C पर बीजाणु उत्पन्न नहीं करता है। याद रखें, एक खेप में एक फल कुछ ही दिनों में कई अन्य फलों के सड़ने का कारण बन सकता है।
कटहल में राइजोपस फल सड़न रोग का रासायनिक प्रबंधन के लिए कवकनाशी की आवश्यकता होती है। जैसे— मैनकोज़ेब या एक प्रणालीगत बेंज़िमिडाज़ोल जैसे थायोफ़ेनेट-मिथाइल या एक ट्राईज़ोल जैसे प्रोपिकोनाज़ोल में से किसी भी फफूंदनाशक 02 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है। यदि एक प्रणालीगत कवकनाशी का उपयोग किया जाता है तो इन्हें मैंकोज़ेब के स्प्रे के साथ वैकल्पिक करें। यदि उद्देश्य केवल फलों को भंडारण में सुरक्षित रखने की है तो कटाई से 10 दिन पहले एक बार छिड़काव करें।
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