तपती धूप, नंगे पैर, कंधे पर तिरंगा, फिर निकला एक देशभक्त इतिहास बनाने
तपती धूप, नंगे पैर, कंधे पर तिरंगा, फिर निकला एक देशभक्त इतिहास बनाने
तीनों सेनाओं की सलामती के लिये करने चला कामना
जहां भी रूका, वहीं लगाये 5 पौधे, युवाओं को किया जागरूक
हापुड़ पहुंचने पर लोगों ने किया स्वागत, प्राचीन मंदिर में टेका माथा
अनिल कश्यप
हापुड़। जहां लोग गर्मी की वजह से घरों से निकलने में भी कतरा रहे हैं, वहीं एक ऐसा देशभक्त जो हाथ में तिरंगा लेकर नंगे पैर देश की यात्रा कर रहा है। जी हाँ, बता दें कि देश की तीनों सेनाओं की सलामती के लिए व पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक ऐसा अनोखा देश भक्त जिसका नाम शिवसेवक वैष्णो दास शिवकरण है जो एक बार फिर जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा करने के लिए निकला है।
जहां भी रुक रहा है, वहीं पर्यावरण सुरक्षा को लेकर 5 पौधे लगाकर पेड़ लगाओ जीवन बचाओ का संदेश भी दे रहा है। वही यह देशभक्त रास्ते में पड़ने वाले प्राचीन मंदिरों में माथा टेककर तीनों सेनाओं की सलामती के लिए दुआ भी कर रहा है।
मंगलवार को इस देशभक्त का हापुड़ आगमन हुआ जहां उसने हापुड़ के प्राचीन मंदिर चंडी मंदिर पहुंचकर माता का आशीर्वाद लिया। हापुड़ के बाद यह देशभक्त गढ़मुक्तेश्वर होते हुए मुरादाबाद अमरोहा के लिए प्रस्थान करेगा और लोगों को जागरूक करते हुए कन्याकुमारी रामेश्वर धाम पहुंचकर अपनी यात्रा का समापन करेगा।
बता दें कि एक बार पहले भी इस देशभक्त ने देश की सेनाओं की सलामती, पर्यावरण की सुरक्षा, राष्ट्र की उन्नति का संकल्प लेकर 7 अक्टूबर 2009 को पैदल यात्रा निकली थी जो करीब 3 साल में पूरी की थी और आज एक बार फिर यह दोबारा इस यात्रा पर निकला है।
बताते चलें कि शिवसेवक वैष्णो दास शिवकरण ने 25 मार्च 2022 से पैदल यात्रा पर है। मंगलवार को हापुड़ पहुंचने पर इस देशभक्त का राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के प्रदेश सचिव चंद्र किरण कश्यप ने स्वागत किया और उनके संदेशों को जन—जन तक पहुंचाने की बात भी कही। इस दौरान उन्होंने हापुर के प्राचीन चंडी मंदिर में पहुंचकर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया वह अपने गंतव्य की ओर आगे बढे।
बता दें कि एक तरफ तो भीषण गर्मी के चलते तपती सड़क व सामने से चेहरे पर पड़ती लू की लपट इन सभी की परवाह न करते हुए यह देशभक्त देश के लिए एक बार फिर ऐसी भीषण गर्मी में नंगे पैर पूरे देश की यात्रा कर रहा है। इतना ही नहीं, इस देशभक्त के पीठ पर करीब 20 से 30 किलो वजन जो उसका रोज इस्तेमाल का सामान है, उसे भी अपने कंधों पर लेकर यह आगे बढ़ा जा रहा है और देश के कोने—कोने से गुजर कर लोगों को जागरूक करते हुए इतिहास के दबे पन्नों को उभरकर लोगों के मन में देश के प्रति एक संदेश स्थापित कर रहा है।
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