गरीब परिवार के लिये किसी मसीहा से कम नहीं थे हेड कांस्टेबल कैसर
लोगों ने कहा- ऐसे लोगों की खुशबू से महकता रहता है पुलिस महकमा
राजीव शुक्ल
धम्मौर, सुल्तानपुर। यूपी पुलिस में बहुत सारे अफसर और मुलाजिम ऐसे भी हैं जो अपनी बढ़िया कार्यशैली के चलते समाज में एक अलग पहचान बना रहे हैं। ऐसे लोगों में हेड कांस्टेबल कैसर अब्बास रिजवी भी है जो पिछले काफी समय से जरूरतमंद परिवारों का गुजारा चला रहे हैं। परहित सरिस धरम नहिं भाई…..। गोस्वामी तुलसीदास कि यह चौपाई कभी स्थानीय थाने में तैनात हेड कांस्टेबल कैसर अब्बास रिजवी पर बड़ी ही सटीक बैठती है।
कोरोना महामारी के दौरान अपने फर्ज को पूरा करते हुए कांस्टेबल रिजवी ने गरीबों की हर संभव मदद की थी, क्षेत्र में आज भी वो गरीबों के दिल में विराजमान है। किसी भी धर्म, मत पंथ या संप्रदाय से संबंधित कोई भी व्यक्ति जो मुसीबत में रहता था कांस्टेबल रिजवी उसके साथ खड़े मिलते थे। थाना क्षेत्र में अपनी लंबी सेवा के दौरान थाना क्षेत्र के अलग-अलग गांव में गरीबों असहायों की मदद करने में कांस्टेबल रिजवी कभी संकोच नहीं करते थे हर महीने अपनी तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा गरीबों की मदद पर खर्च करते थे उनकी इसी दरियादिली के लिए आज भी क्षेत्र की जनता उन्हें याद कर रही है। लोगों की मानें तो क्षेत्र में कई जरूरतमंदों को खून देकर जान बचाने वाले रिजवी इस समय बाराबंकी जिले के रामसनेही पुलिस स्टेशन पर इस नेक कार्य को अंजाम दे रहे हैं। थाना धम्मौर में अपने सेवाकाल के दौरान कांस्टेबल रिजवी अपने कस्बे के साथ-साथ आस-पास के गांव में रहने वाले जरूरतमंदों को राशन व कपड़े मुहैया करवाते रहे हैं।
गरीबों और जरूरतमंदो के लिए रिजवी बीसों बार रक्तदान कर चुके हैं। इसी नेक कार्यों की वजह से क्षेत्र में कांस्टेबल रिजवी गरीबों का मसीहा कहे जाते हैं। एक बातचीत के दौरान कांस्टेबल रिजवी ने बताया कि खाकी पहनते ही अपनी ड्यूटी को ईमानदारी व मेहनत से करने की शपथ लेते ही यह प्रण भी लिया था कि वह गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद से कभी पीछे नहीं हटेंगे। जब तक वह स्थानीय थाने में तैनात थे तो वहां गांव के गरीब लोग थाने में अपने दुख दर्द को लेकर रिजवी के पास आया करते थे गरीब व दुखी लोगों को देखते हुए उन्होंने कभी सहायता से इनकार नहीं किया। जानकारों की मानें तो परोपकार के साथ साथ क्षेत्र में घटित होने वाली किसी भी घटना का अनावरण करने में हेड कांस्टेबल कैसर अब्बास रिजवी को महारत हासिल है। लोगों द्वारा बताया जाता है कि जिन परिवारों का कोई सहारा नहीं था उन्हें वे महीने का राशन मुहैया कराते रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके द्वारा मरीजों को फ्री दवाएं और गरीब बच्चों को फ्री किताबें और फीस भी दी जाती थी जिसका पैसा वे स्वयं वहन करते थे। बीते दिनों उनका स्थानांतरण बाराबंकी जिले में हो गया है लेकिन आज भी क्षेत्र की गली मुहल्लों, दुकानों चौराहों व राहगीरों द्वारा उनके नेक कार्य के चर्चे अनवरत हो रहे हैं। कैसर अब्बास रिजवी जैसे पुलिस वाले वाकई उन लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है जो तंगहाली में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।
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