गामा पहलवान अजेय रहे: कवि

गामा पहलवान अजेय रहे: कवि

सुनील कुमार
सासाराम, रोहतास (बिहार)। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक मानवाधिकार संरक्षण रोहतास के जिलाध्यक्ष कवि ने गामा पहलवान की 63वीं पुण्यतिथि पर याद करते हुए रोहतास के किशुनपरा गांव में लोगों को बताया कि शायद ही कोई ऐसा भारतीय खेल-प्रेमी हो, जिसने ‘रुस्तम-ए-ज़मां’ पहलवान का नाम न सुना हो। गामा पहलवान भारत में एक किंवदंती बन चुके हैं।

गामा पहलवान का मूल नाम: ग़ुलाम मुहम्मद, था। शारीरिक ताकत के लिए जिस प्रकार हमारे समय में दारा सिंह की मिसाल दी जाती है, इसी प्रकार कुछ समय पहले तक ‘गामा पहलवान’ का नाम लिया जाता था। 15 अक्टूबर 1910 में गामा को ‘विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप’ (दक्षिण एशिया) में विजेता घोषित किया गया। अपने पहलवानी के दौर में गामा की उपलब्धियाँ इतनी आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय हैं कि साधारणत: लोगों को विश्वास नहीं होता कि गामा पहलवान वास्तव में हुए थे।

गामा को ‘शेर-ए-पंजाब’, ‘रुस्तम-ए-जमां’ (विश्व केसरी) और ‘द ग्रेट गामा’ जैसी उपाधियां दी गयीं। गामा विश्व के एक मात्र पहलवान थे जिन्होंने अपने जीवन में कोई कुश्ती नहीं हारी। गामा ने भारत का नाम पूरे विश्व में ऊँचा किया। 1880 ईसवी में अमृतसर, पंजाब में जन्मे गामा पहलवान का 21 मई, 1960 को लाहौर, पाकिस्तान में इंतकाल हुआ। ताकत की किवदंती को लोगों ने सलाम किया।

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