अम्बेडकर जी के आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी: कुलपति
जितेन्द्र सिंह चौधरी
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में राष्ट्रीय सेवा योजना विद्यापीठ के सौजन्य से सेंट्रल लाइब्रेरी के हाल में डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि सभा एवं गोष्ठी हुई जिसकी अध्यक्षता प्रो. आनंद त्यागी (कुलपति म.गां. काशी विद्यापीठ) ने किया। उन्होंने सबसे पहले अंबेडकर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जिसके उपरांत कि बाबा साहब एक ऐसे शख्स थे जिनकी तुलना किसी अन्य से की ही नहीं जा सकती। बाबा साहब की भूमिका भारतीय संविधान में एक पिता की तरह है।
बाबा साहब हमेशा गरीबों, पिछड़ों, शोषितों व असहायों की भलाई और उत्थान के लिए लड़ते हुए जातिवाद को चुनौती देते रहे। कुलपति जी ने कहा कि समाज का उत्थान तभी संभव है जब हम सभी लोग बाबा साहब के पदचिन्हों पर चले कुलपति जी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बाबा साहब हमेशा भारतीयों की वकालत करते थे ना की किसी जाति या धर्म की, बाबा साहब हमेशा असमानता, भेदभाव का विरोध कर समानता की वकालत अंतिम समय तक करते रहे। ऐसे महान व्यक्तित्व का अनुसरण हम लोगों को अपने जीवन में करना चाहिए। छात्र कल्याण संकाय के संख्याध्यक्ष प्रो. के.के. सिंह ने कहा कि ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का आधार है जो जाति व धर्म से ऊपर होता है।
बाबा साहब गरीबों, पिछड़ों, निसहायों के हक के लिए संघर्ष की अंततोगत्वा असहाय व गरीबों शोषितों को उनका हक दिलाने में सफलता प्राप्त की जो आज विश्व के सबसे बड़े संविधान के रूप में भारतीय संविधान के नाम से विख्यात है। मुख्य वक्ता प्रो. वंदना जी ने बताया कि अंबेडकर जी सामाजिक छुआछूत और जातिवाद के खात्मे के लिए काफी संघर्ष किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों दलितों और समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए न्योछावर कर दिया। ऐसे महान विभूति का प्रत्येक भारतीय को अनुसरण करना चाहिए। इस अवसर पर डॉ सतीश कुशवाहा, डॉ धनंजय शर्मा, डॉ हंसराज, डा ध्यानेंद्र मिश्रा, छात्र संघ प्रतिनिधि, छात्र-छात्राएं, कर्मचारीगण सहित विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य काफी संख्या में उपस्थित रहे।
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