आज भी हमारा देश दलहन की उत्पादकता एवं उत्पादन में काफी पीछे: प्रो. डीके
देवी प्रसाद शर्मा
अहिरौला, आजमगढ़। आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान कोटवा आजमगढ़-I द्वारा “खरीफ फसलों में एकीकृत कीट व रोग प्रबंधन” पर 5 दिवसीय परिसरीय प्रशिक्षण का आयोजन हुआ जहां विभिन्न विकास खंडों के कुल 25 चयनित कृषकों ने प्रतिभाग किया| केन्द्र प्रभारी प्रो. डीके सिंह ने बताया कि आज भी हमारा देश दलहन की उत्पादकता एवं उत्पादन में काफी पीछे है और दलहन की आपूर्ति हेतु हमारे देश को दलहन की बड़ी मात्रा का आयात करना पड़ता है|प्रशिक्षण समन्वयक व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रुद्र प्रताप सिंह ने खरीफ की मुख्य फसलों में लगने वाले कीट एवं रोग के बारे में विस्तार से चर्चा की| कीट व रोग की पहचान, हानि के लक्षण तथा प्रभावी प्रबंधन पर जानकारी देते हुए फसल सुरक्षा हेतु रसायन रहित विकल्पों को चुनने की सलाह दी गई| बीज एवं भूमि उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा, फसल पर कीट की निगरानी व उनको पकड़कर नष्ट करने हेतु विभिन्न ट्रैप का प्रयोग, वानस्पतिक स्रोत से प्राप्त कीटनाशियों का कीट नियंत्रण में प्रयोग व पारिस्थितिक अनुकूल फसल सुरक्षा विधियों पर विस्तार से चर्चा की गई|
इसी क्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रणधीर नायक ने फसल सुरक्षा में मृदा परीक्षण और संतुलित पोषक तत्व के महत्व को रेखांकित किया| वैज्ञानिक डॉ अर्चना देवी ने कीट व रोगरोधी किस्मों के बारे में बताया तथा क्षेत्र विशेष के लिए विभिन्न फसलों की उन्नतशील प्रजातियों के चयन की सलाह दी| विभिन्न प्रकार के बीजों की पहचान व उनसे जुड़ी विशेष बातों को प्रशिक्षणार्थियों के साथ साझा किया| प्रशिक्षणार्थियों द्वारा भी विषय विशेषज्ञों से अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु कई प्रश्न पूछे गए तथा दलहनी फसल को बढ़ावा देने हेतु अपने विचार रखे गये।
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