प्रकृति और पर्यावरण के साथी हैं हाथी | #TEJASTODAY
वाराणसी। भारतवर्ष मे पौराणिक काल से ही पूज्यनीय और मानव समाज का हितैषी हाथी आज अपने अस्तित्व की जंग लड रहा हैं। विश्व हाथी दिवस पर वाराणसी मे वस्त्र दान फाउंडेशन के (संस्थापक) सुधांशु सिंह ने अपने गाँव पर पालतू हाथियों का श्रृंगार कर उन्हें लड्डू खिलाया। हाथी पालक मनीष सिंह का कहना हैं कि हाथियों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की ज़रूरत हैं। देश में सदियों से हाथी को को देवतुल्य मानकर पूजा जाता रहा हैं लेकिन चंद धन के लोभियो द्वारा इनका शिकार व दाँत तोड़कर पैसे कमाने की लालच ने उनके अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया हैं।
चिड़ियांघरो व सर्कस से इन्हें आजादी मिली तो जंगली शिकारियों ने इन्हें अपना निशाना बनाना शुरु कर दिया। एशियाई हाथियों को संकटग्रस्त प्रजातियों की अंतरराष्ट्रीय प्रजाती संरक्षण सघ (आईयूसीएन) के रेड लिस्ट में विलुप्तप्राय प्रजाती के रूप में सूचीबद्ध किया गया हैं। धरती पर एशियाई हाथियों की संख्या लगभग 55 हजार हैं जिनमें 60 फीसद हाथी भारत मे विचरण करते हैं। मानव सभ्यता के उदयकाल से ही मानवो के हितैषी और सहयोगी रहे विशालकाय हाथी अपने सज्जनता और धैर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। कटते जंगलों और सिमटते सोच के बीच आज हाथियों को भोजन पाने और प्राण बचाने के लिए क्रूर मानवो से बचकर इधर-उधर भागना पड़ रहा हैं।