पूर्वांचल का दुग्ध उत्पादक किसानों का मदद करने के लिये अमूल सहकारिता संस्था से प्रयास की जा रही: डा. राजा रत्नम
नई दिल्ली। देश विदेश में दुध के विषय पर विशेषज्ञ डाॅ0 राजा रत्नम को भी 23 फरवरी प्रधानमंत्री द्वारा उत्घाटन होने वाला समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। उनके साथ वार्तालाप करने के लिए मौका मिला एवं उन्होंने संवादाता को उत्तर दिया।
प्रश्न 1- आप भी जानते हैं कि इस क्षेत्र में पराग दुध को-आॅपरेटिव, अनेक प्रोड्यूसर कम्पनी सरकार के मदद से काम कर रही है। ऐसी परिस्थिति में अमूल को-आॅपरेटिव स्थापना करना जरूरी है क्या।
उत्तर- आपको भी जानकारी होगा कि हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा उत्पादन सिर्फ उ0प्र0 में हो रहा है परन्तु 90 प्रतिशत अधिक दुध असंगठित संस्था से उपभोक्ता को उपलब्ध कि जा रही है। मैं अभी भी किसान के हित को देखते हुए भ्रमण करते थे। आप भी जानते हैं कि शादी विवाह के समय दुध से दुध पदार्थ खासकर छेना का भाव बढ़ाता है। उसी समय कुछ असंगठित संस्था में जुडे हुए लोग अपने फायदा के लिए दुध में मिलावट कराकर मैली प्रथा को उपभोक्ता को उपलब्ध करते हैं। वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसमें बदलाव होना जरूरी है, इसलिए अमूल को आॅपरेटिव भी बनास कांटा डेरी पाल्हनपुर गुजरात के माध्यम से 5 लाख लीटर दूध का एक प्रसंस्करण इकाई है। इस तरह का प्रयास करने से उपभोक्ता का और शुद्ध दुध एवं दुध पदार्थ मिलने के लिए सम्भव है।
प्रश्न 2- इससे पशुपालन किसानों को क्या लाभ मिलेगा?
उत्तर- मैंने वर्ष 1976 में बनास डेरी के साथ जुड़ कर काम करते थे। उस समय वहां के किसानों से लगभग 2 लाख दूध खरीदा था। फिलहाल में बनारस डेरी के अनुरोध पर श्रमण किया गया है। इस विषय को सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि आज उस बनास डेरी से लगभग 100 लाख लीटर दूध प्रतिदिन संग्रहण किया जा रहा है। लगभग हर गांव से 4 हजार से 5 हजार तक दूध संग्रहण किया जा रहा है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि रोज कितना रकम गांव में दूध के माध्यम उपलब्ध की जा रही है। इस संस्थाध्यक्ष शंकर चौधरी ने कहा कि इस तरह का शुद्ध दूध को सहकारिता के माध्यम से संग्रहण कराकर इस क्षेत्र का पशुपालक किसानों को मदद करना चाहते है। इसके अलावा (डाॅ0 वर्गीज कोरियन का पुरस्कार प्राप्त किये हुए) संग्राम सिंह चैधरी प्रबंध निदेशक ने जानकारी दिया कि आधुनिक रूप से पशुपालन का ध्यान रखने से किसानों को भी फायदा मिलेगा एवं गोबर को उपयोग कराकर जमीन को उर्वरता बढा सकते है जिससे वित्त अर्थव्यवस्था को लागू कर सकते हैं। इस तरह का प्रयास करने से पशु पालने में फायदा होगा और गांव के विकास में वृद्धि होगा। इससे परिपत्र अर्थव्यवस्था करने से किसान एवं समाज को फायदा मिलेगा।
प्रश्न 3— ये अच्छी बात है परन्तु यहां पर पहले से दुध सहकारी संस्था चल रही है। इससे उसी संस्था को नुकसान नहीं होगा क्या?
उत्तर— आप भी जानते हैं कि सहकारिता संस्था में सहयोग रखना सहकारिता संस्था का सिद्धांत होता है। इसको ध्यान में रखते हुए अमूल को-आॅपरेटिव डेरी ने दूसरे प्रान्त पर काम कर रही है। उदाहरण के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय संस्था यू0एन0डी0पी0 द्वारा निर्माणित किये हुए दूध उत्पादक सहकारी कम्पनी के साथ वार्तालाप होकर किसान एवं उपभोक्ता का शुद्ध दुध संग्रहण कराकर उपलब्ध करने के लिए और मौका मिलेगा।
प्रश्न 4- आपने अनेक जगह में देश-विदेश में भ्रमण किये है। ऐसी परिस्थिति में यहां का किसान एवं उपभोक्ता को आप क्या सुझाव देना चाहते हैं।
उत्तर- यह आपको जानकारी देना चाहता हूँ कि विकसित देश में लगभग 90 प्रतिशत दुध संगठित संस्था द्वारा संग्रहण कराकर उपलब्ध किया जा रहा है जिससे किसान एवं उपभोक्ता एवं इस संस्था के साथ जुड़े हुए हितधारकों को लाभ होता है। आप भी जानते हैं। खाद्य वस्तु का 20 प्रतिशत खर्चा दुध एवं दुध पदार्थ में हो रहा है, क्योंकि इस देश में शाकाहारी का संस्था अधिक है परन्तु शुद्ध दुध एवं दुध पदार्थ मिलने में अनेक जनता को मौका नहीं मिल रहा है। इसी तरह का संस्था विकास होने से अनेक लोगो को लाभ मिलेगा। इसी परिस्थिति में ग्राम प्रधान द्वारा एक संस्था के साथ लम्बे समय के लिए अनुबंध बनाकर प्रयास करने से किसान व गांव एवं हितधारक को फायदा मिलेगा। एवं अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा बचा सके। इसके अलावा पशुपालन डेरी उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए भारी निवेश जरूरी है। इसके लिए सरकार का मदद जरूरी है। इसे दुर दृष्टि महान लोग जैसा लाल बहादुर शास्त्री, सहकारिता का पितामाह त्रिभुवन पटेल, श्वेत क्रान्ति के पिता डाॅ0 वर्गीज कोरियन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति का सपना पूरा सफल होगा।
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