दीपक कुमार
मुगलसराय, चन्दौली। न खायेंगे न खाने देंगे वाले सरकार का नारा कितना सफल हो रहा है। इसका अंदाज अलीनगर के सामुदायिक भवन में रंगरोगन के नाम पर हुए भारी भ्रष्टाचार से लगाया जा सकता है। जितना धन स्वीकृत हुआ उसके आधे का भी आधा पैसा खर्च होता दिखाई नही पड़ रहा है। यह हम नहीं कुछ जिम्मेदार सत्ता पक्ष के पार्टी के नेता व अधिकारी और स्थानीय जनता कह रही है। क्षेत्र के नगर पालिका परिषद क्षेत्र के वार्ड नं 16 में बने लाल बहादुर शास्त्री सामुदायिक भवन के रंग रोगन व मरम्मत के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार का खेल हुआ है।
जिसकी चर्चाएं स्थानीय लोगों में खूब व्याप्त है। लोगों ने सामुदायिक भवन में किये गये विकास कार्य की जांच कराने की मांग की है। बताया जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री सामुदायिक भवन का निर्माण 2012 में पूर्व चेयरमैन राजकुमार जायसवाल के कार्यकाल में हुआ था। जिसमें दो स्नान घर व दो शौचालय के साथ कुछ रूम है और एक बड़ा हाल है। उक्त भवन में स्थानीय व आस-पास के लोग शादी विवाह आदि कार्यक्रम करते हैं जो लोगों को काफी सहूलियत भरा होता है। देखरेख के अभाव में समय के साथ उक्त भवन की हालत जर्जर होती गयी।
शौचालय गंदगी से पट गया और पानी की आपूर्ति भी बंद हो गयी। फर्श क्षतिग्रस्त हो गया था और मंच भी टूटा फूटा स्थिति में था। काफी शिकायत के बाद भवन के विकास के लिए नगर पालिका द्वारा 11 लाख 34 हजार 380 रूपये की धन स्वीकृत की गयी। उक्त धन से भवन का टूटा फूटा मरम्मत हुआ, रंगरोगन भी हुआ और खिड़की दवारजे को पेंट भी किया गया। हाल में बने मंच पर कुछ टाइल्स भी लगाये गये लेकिन फर्श पर टाइल्स नहीं लगाया गया हां कोरमपूर्ति के लिए जगह-जगह मसाले भरकर समतल जरूर किये गये हैं।
अभी तक न तो शौचालय के मरम्मत किये गये हैं और ना ही स्नान घर में पानी की व्यवस्था की गयी है और कार्य भी पूर्ण हो गये हैं। विकास के लिए स्वीकृत धनराशि को लेकर लोगों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों का कहना है कि दीवार पर बिना पुट्टी के रंगरोगन किया गया है और कुछ जगह टूटे फूटे दीवार व फर्श पर प्लास्ट चढ़ा दिये हैं। जिस कार्य के लिए 1134380 रूपये का बोर्ड विकास पुरूषों के अंकित नाम के साथ दीवार पर लगा दिया गया है जो भवन से ज्यादा बोर्ड पर विकास पुरूषों के अंकित नाम शोभा बढ़ा रहा है।
लोगों में इस बात की भी चर्चा है इनको बोर्ड ही लगवाना था तो बिना रंग रोगन के लगवा दिये होते कौन बोलने जाता। दो ढाई लाख का काम करवाकर बाकी धनराशि किसके खाते में गयी। इसकी जांच होनी चाहिए। गत दिनों एक कार्यक्रम में आये एक अधिकारी ने भी इस बात का जिक्र किया कि इसमें अधिक से अधिक डेढ़ दो लाख रूपया लगा होगा। इस बाबत जब निर्माण विभाग के जेई से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि मरम्मत कार्य पूर्ण हो गया है अब कोई काम नहीं बचा है।
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