महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY

महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY

महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम प्रतियोगिताओं की विजेता हैं नीमा डाक्टरेट की उपाधि से नवाजी गयीं नीमा २६ वर्षों से पीजीआई में हैं कार्यरत मासूम पुत्री से दूर रहकर ६ महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहीं सेवा ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन के माध्यम से दीं नसीहत लखनऊ। विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी महामारी के रूप में आये कोरोना वायरस को लेकर जहां हर आम व खास खौफजदा है जिसके चलते न कोई किसी के पास जा रहा है और न ही किसी की मदद के लिये आगे आ रहा है, वहीं इन सबसे अलग कुछ लोग अपना व अपने परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में आगे आ गये हैं। ऐसे योद्धा अपने मासूम बच्चों तक से पिछले ६ माह से अलग रहकर जानलेवा बीमारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे योद्धाओं में एक नाम नीमा पन्त नामक आयरन लेडी की है जो संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) लखनऊ में सीनियर नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत हैं। ‘यह क्या कि चले और आ गयी मंजिल, मजा तो तब है कि पांव थकें, फिर भी चलें’ स्लोगन को अपने जीवन का सार बनाने वाली नीमा पन्त ने अपने कैरियर की शुरूआत कालेज और नर्सिंग कानपुर से की जिसके पहले प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मन्दिर कानपुर से किया। इसके बाद एमजी गर्ल्स कालेज से इण्टर करने के बाद उनका चयन बीएससी नर्सिंग ऑनर्स के लिये हो गया। ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन को लोगों से अपने जीवन में उतारने की नसीहत देने वाली नीमा पन्त पिछले २६ वर्षों से पीजीआई में मरीजों की सेवा कर रही हैं। पिछले ६ महीने से कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा करने वाली नीमा जी का मानना है कि वर्तमान की विश्वस्तरीय समस्या को देखते हुये ऐसा लगता है कि ईश्वर ने शायद इसी के लिये मुझ जैसे लोगों को धरती पर भेजा है। पिछले ६ महीने से अपनी १२ वर्षीय पुत्री से अलग रहने वाली नीमा जी का मानना है कि आज हम मां-बेटी एक-दूसरे से मिलने के लिये भले ही तड़प रहे हैं लेकिन हमारी यह तड़प किसी के लिये मरहम का काम कर रही है। बता दें कि अपनी ममत्व को अपने कलेजे में छिपाने वाली नीमा पन्त मिसेज नार्थ इण्डिया, मिसेज प्लानेट दिवा, मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम नामचीन खिताब से नवाजी जा चुकी हैं जिसके चलते उन्हें ग्लोबल जस्टिस वर्ल्ड, विश्व संवाद परिषद, दि वर्ल्ड पीपुल्स फोरम सहित तमाम संस्थानों का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया है। वहीं डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिशन इण्टरनेशनल सहित तमाम विश्वस्तरीय संस्थानों ने उन्हें डाक्टरेट जैसी विशेष उपाधि से भी विभूषित किया है। लगभग २१ वर्षों से थिएटर की शक्ल न देखने वाली आयरन लेडी नीमा जी अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माता श्री को मानती हैं। हालांकि आर्मी में आफिसर रहे उनके पिता भी उनके आदर्श हैं। इसके अलावा फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा को मैरी कोम के रूप में इसलिये आदर्श मानती हैं, क्योंकि इन लोगों ने जिसमें भी खुशी मिली, उसी में रहकर समाज के लिये कुछ अलग हटकर कीं। अपने भाई के अलावा ससुराल के सभी लोगों से मिले प्यार को साझा करते हुये नीमा जी का मानना है कि उनके जीवन में सबसे अधिक सहयोग उनके पति डा. सुदीप कुमार जो पीजीआई में प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट हैं, से मिला जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे जिससे उनका हौंसला निरन्तर बढ़ता है। अल्मोड़ा में जन्मीं नीमा जी दिल्ली में वर्ष २०१९ में आयोजित प्रतियोगिता मिसेज यूनिवर्स चुनी गयीं। इसके अलावा इसी वर्ष लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज नार्थ इण्डिया की विनर बनीं। कालेज ऑफ नर्सिंग से बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स करने के बाद नीमा ने कोलकाता के बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट से कार्डियक नर्सिंग में १८ महीने का कोर्स किया। वर्ष १९९५ में पीजीआई लखनऊ में नर्सिंग अधिकारी के रूप आकर उन्होंने कार्डियोलॉजी आईसीयू में काम किया जहां वर्ष १९९६ में वह डा. सुदीप कुमार की जीवनसाथी बन गयीं। इस बाबत एक भेंट के दौरान नीमा पन्त ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण हमारी ड्यूटी और कार्यशैली में कई बदलाव किये गये हैं। ड्यूटी के दौरान जो पीपीई किट हम पहनते हैं, उसको ८ घण्टे तक पहनना पड़ता है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान तमाम दिक्कतें भी उत्पन्न होती है, फिर भी हम पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। हमारी ड्यूटी लगातार १५ दिन की होती है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत जीवन की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह से कटे रहते हैं। हम अपने परिवार, विशेषकर छोटे बच्चों से पूरी तरह से अलग रहते हैं। फिलहाल मुझे हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि इस अभूतपूर्व संकट में मेरा पहला कर्तव्य मेरे मरीज हैं जिनकी सेवा ही मेरा परम कर्तव्य व धर्म है। मैं और मेरी पूरी टीम पूरी तन्मयता से अपने मरीजों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। इस दौरान मैं मरीजों को लगातार हिम्मत बंधाते हुये उनका मनोबल बढ़ाती रहती हूं। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मेरे मरीज यहां से स्वस्थ होकर अपने परिवार में जायं। अन्त में आने वाली पीढ़ी के लिये संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट व मॉडल बनना परन्तु अगर आप समाज के लिये कुछ करते है और अपना शिक्षा नहीं रोकते हैं तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। साथ ही आने वाली पीढी के लिये उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने घर-परिवार के साथ समाज व देश के लिये जरुर कुछ करें, ताकि मनुष्य के रुप में धरती पर आना उनका सार्थक हो जाय।

मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम प्रतियोगिताओं की विजेता हैं नीमा

डाक्टरेट की उपाधि से नवाजी गयीं नीमा २६ वर्षों से पीजीआई में हैं कार्यरत

मासूम पुत्री से दूर रहकर ६ महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहीं सेवा

‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन के माध्यम से दीं नसीहत

लखनऊ। विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी महामारी के रूप में आये कोरोना वायरस को लेकर जहां हर आम व खास खौफजदा है जिसके चलते न कोई किसी के पास जा रहा है और न ही किसी की मदद के लिये आगे आ रहा है, वहीं इन सबसे अलग कुछ लोग अपना व अपने परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में आगे आ गये हैं।

महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY  मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम प्रतियोगिताओं की विजेता हैं नीमा  डाक्टरेट की उपाधि से नवाजी गयीं नीमा २६ वर्षों से पीजीआई में हैं कार्यरत  मासूम पुत्री से दूर रहकर ६ महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहीं सेवा  ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन के माध्यम से दीं नसीहत  लखनऊ। विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी महामारी के रूप में आये कोरोना वायरस को लेकर जहां हर आम व खास खौफजदा है जिसके चलते न कोई किसी के पास जा रहा है और न ही किसी की मदद के लिये आगे आ रहा है, वहीं इन सबसे अलग कुछ लोग अपना व अपने परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में आगे आ गये हैं।  ऐसे योद्धा अपने मासूम बच्चों तक से पिछले ६ माह से अलग रहकर जानलेवा बीमारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे योद्धाओं में एक नाम नीमा पन्त नामक आयरन लेडी की है जो संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) लखनऊ में सीनियर नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।  ‘यह क्या कि चले और आ गयी मंजिल, मजा तो तब है कि पांव थकें, फिर भी चलें’ स्लोगन को अपने जीवन का सार बनाने वाली नीमा पन्त ने अपने कैरियर की शुरूआत कालेज और नर्सिंग कानपुर से की जिसके पहले प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मन्दिर कानपुर से किया। इसके बाद एमजी गर्ल्स कालेज से इण्टर करने के बाद उनका चयन बीएससी नर्सिंग ऑनर्स के लिये हो गया।  ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन को लोगों से अपने जीवन में उतारने की नसीहत देने वाली नीमा पन्त पिछले २६ वर्षों से पीजीआई में मरीजों की सेवा कर रही हैं। पिछले ६ महीने से कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा करने वाली नीमा जी का मानना है कि वर्तमान की विश्वस्तरीय समस्या को देखते हुये ऐसा लगता है कि ईश्वर ने शायद इसी के लिये मुझ जैसे लोगों को धरती पर भेजा है। पिछले ६ महीने से अपनी १२ वर्षीय पुत्री से अलग रहने वाली नीमा जी का मानना है कि आज हम मां-बेटी एक-दूसरे से मिलने के लिये भले ही तड़प रहे हैं लेकिन हमारी यह तड़प किसी के लिये मरहम का काम कर रही है।  बता दें कि अपनी ममत्व को अपने कलेजे में छिपाने वाली नीमा पन्त मिसेज नार्थ इण्डिया, मिसेज प्लानेट दिवा, मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम नामचीन खिताब से नवाजी जा चुकी हैं जिसके चलते उन्हें ग्लोबल जस्टिस वर्ल्ड, विश्व संवाद परिषद, दि वर्ल्ड पीपुल्स फोरम सहित तमाम संस्थानों का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया है। वहीं डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिशन इण्टरनेशनल सहित तमाम विश्वस्तरीय संस्थानों ने उन्हें डाक्टरेट जैसी विशेष उपाधि से भी विभूषित किया है।  लगभग २१ वर्षों से थिएटर की शक्ल न देखने वाली आयरन लेडी नीमा जी अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माता श्री को मानती हैं। हालांकि आर्मी में आफिसर रहे उनके पिता भी उनके आदर्श हैं। इसके अलावा फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा को मैरी कोम के रूप में इसलिये आदर्श मानती हैं, क्योंकि इन लोगों ने जिसमें भी खुशी मिली, उसी में रहकर समाज के लिये कुछ अलग हटकर कीं। अपने भाई के अलावा ससुराल के सभी लोगों से मिले प्यार को साझा करते हुये नीमा जी का मानना है कि उनके जीवन में सबसे अधिक सहयोग उनके पति डा. सुदीप कुमार जो पीजीआई में प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट हैं, से मिला जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे जिससे उनका हौंसला निरन्तर बढ़ता है।  अल्मोड़ा में जन्मीं नीमा जी दिल्ली में वर्ष २०१९ में आयोजित प्रतियोगिता मिसेज यूनिवर्स चुनी गयीं। इसके अलावा इसी वर्ष लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज नार्थ इण्डिया की विनर बनीं। कालेज ऑफ नर्सिंग से बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स करने के बाद नीमा ने कोलकाता के बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट से कार्डियक नर्सिंग में १८ महीने का कोर्स किया। वर्ष १९९५ में पीजीआई लखनऊ में नर्सिंग अधिकारी के रूप आकर उन्होंने कार्डियोलॉजी आईसीयू में काम किया जहां वर्ष १९९६ में वह डा. सुदीप कुमार की जीवनसाथी बन गयीं।  इस बाबत एक भेंट के दौरान नीमा पन्त ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण हमारी ड्यूटी और कार्यशैली में कई बदलाव किये गये हैं। ड्यूटी के दौरान जो पीपीई किट हम पहनते हैं, उसको ८ घण्टे तक पहनना पड़ता है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान तमाम दिक्कतें भी उत्पन्न होती है, फिर भी हम पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। हमारी ड्यूटी लगातार १५ दिन की होती है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत जीवन की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह से कटे रहते हैं। हम अपने परिवार, विशेषकर छोटे बच्चों से पूरी तरह से अलग रहते हैं।  फिलहाल मुझे हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि इस अभूतपूर्व संकट में मेरा पहला कर्तव्य मेरे मरीज हैं जिनकी सेवा ही मेरा परम कर्तव्य व धर्म है। मैं और मेरी पूरी टीम पूरी तन्मयता से अपने मरीजों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। इस दौरान मैं मरीजों को लगातार हिम्मत बंधाते हुये उनका मनोबल बढ़ाती रहती हूं। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मेरे मरीज यहां से स्वस्थ होकर अपने परिवार में जायं।  अन्त में आने वाली पीढ़ी के लिये संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट व मॉडल बनना परन्तु अगर आप समाज के लिये कुछ करते है और अपना शिक्षा नहीं रोकते हैं तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। साथ ही आने वाली पीढी के लिये उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने घर-परिवार के साथ समाज व देश के लिये जरुर कुछ करें, ताकि मनुष्य के रुप में धरती पर आना उनका सार्थक हो जाय। लाइक करके जुड़ जाइए इस पेज से और पढ़िए ब्रेकिग खबरें....  https://www.facebook.com/tejastodaynews/photos/a.2269183029857631/3052811768161416

ऐसे योद्धा अपने मासूम बच्चों तक से पिछले ६ माह से अलग रहकर जानलेवा बीमारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे योद्धाओं में एक नाम नीमा पन्त नामक आयरन लेडी की है जो संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) लखनऊ में सीनियर नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।

‘यह क्या कि चले और आ गयी मंजिल, मजा तो तब है कि पांव थकें, फिर भी चलें’ स्लोगन को अपने जीवन का सार बनाने वाली नीमा पन्त ने अपने कैरियर की शुरूआत कालेज और नर्सिंग कानपुर से की जिसके पहले प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मन्दिर कानपुर से किया। इसके बाद एमजी गर्ल्स कालेज से इण्टर करने के बाद उनका चयन बीएससी नर्सिंग ऑनर्स के लिये हो गया।

महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY  मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम प्रतियोगिताओं की विजेता हैं नीमा  डाक्टरेट की उपाधि से नवाजी गयीं नीमा २६ वर्षों से पीजीआई में हैं कार्यरत  मासूम पुत्री से दूर रहकर ६ महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहीं सेवा  ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन के माध्यम से दीं नसीहत  लखनऊ। विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी महामारी के रूप में आये कोरोना वायरस को लेकर जहां हर आम व खास खौफजदा है जिसके चलते न कोई किसी के पास जा रहा है और न ही किसी की मदद के लिये आगे आ रहा है, वहीं इन सबसे अलग कुछ लोग अपना व अपने परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में आगे आ गये हैं।  ऐसे योद्धा अपने मासूम बच्चों तक से पिछले ६ माह से अलग रहकर जानलेवा बीमारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे योद्धाओं में एक नाम नीमा पन्त नामक आयरन लेडी की है जो संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) लखनऊ में सीनियर नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।  ‘यह क्या कि चले और आ गयी मंजिल, मजा तो तब है कि पांव थकें, फिर भी चलें’ स्लोगन को अपने जीवन का सार बनाने वाली नीमा पन्त ने अपने कैरियर की शुरूआत कालेज और नर्सिंग कानपुर से की जिसके पहले प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मन्दिर कानपुर से किया। इसके बाद एमजी गर्ल्स कालेज से इण्टर करने के बाद उनका चयन बीएससी नर्सिंग ऑनर्स के लिये हो गया।  ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन को लोगों से अपने जीवन में उतारने की नसीहत देने वाली नीमा पन्त पिछले २६ वर्षों से पीजीआई में मरीजों की सेवा कर रही हैं। पिछले ६ महीने से कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा करने वाली नीमा जी का मानना है कि वर्तमान की विश्वस्तरीय समस्या को देखते हुये ऐसा लगता है कि ईश्वर ने शायद इसी के लिये मुझ जैसे लोगों को धरती पर भेजा है। पिछले ६ महीने से अपनी १२ वर्षीय पुत्री से अलग रहने वाली नीमा जी का मानना है कि आज हम मां-बेटी एक-दूसरे से मिलने के लिये भले ही तड़प रहे हैं लेकिन हमारी यह तड़प किसी के लिये मरहम का काम कर रही है।  बता दें कि अपनी ममत्व को अपने कलेजे में छिपाने वाली नीमा पन्त मिसेज नार्थ इण्डिया, मिसेज प्लानेट दिवा, मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम नामचीन खिताब से नवाजी जा चुकी हैं जिसके चलते उन्हें ग्लोबल जस्टिस वर्ल्ड, विश्व संवाद परिषद, दि वर्ल्ड पीपुल्स फोरम सहित तमाम संस्थानों का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया है। वहीं डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिशन इण्टरनेशनल सहित तमाम विश्वस्तरीय संस्थानों ने उन्हें डाक्टरेट जैसी विशेष उपाधि से भी विभूषित किया है।  लगभग २१ वर्षों से थिएटर की शक्ल न देखने वाली आयरन लेडी नीमा जी अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माता श्री को मानती हैं। हालांकि आर्मी में आफिसर रहे उनके पिता भी उनके आदर्श हैं। इसके अलावा फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा को मैरी कोम के रूप में इसलिये आदर्श मानती हैं, क्योंकि इन लोगों ने जिसमें भी खुशी मिली, उसी में रहकर समाज के लिये कुछ अलग हटकर कीं। अपने भाई के अलावा ससुराल के सभी लोगों से मिले प्यार को साझा करते हुये नीमा जी का मानना है कि उनके जीवन में सबसे अधिक सहयोग उनके पति डा. सुदीप कुमार जो पीजीआई में प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट हैं, से मिला जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे जिससे उनका हौंसला निरन्तर बढ़ता है।  अल्मोड़ा में जन्मीं नीमा जी दिल्ली में वर्ष २०१९ में आयोजित प्रतियोगिता मिसेज यूनिवर्स चुनी गयीं। इसके अलावा इसी वर्ष लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज नार्थ इण्डिया की विनर बनीं। कालेज ऑफ नर्सिंग से बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स करने के बाद नीमा ने कोलकाता के बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट से कार्डियक नर्सिंग में १८ महीने का कोर्स किया। वर्ष १९९५ में पीजीआई लखनऊ में नर्सिंग अधिकारी के रूप आकर उन्होंने कार्डियोलॉजी आईसीयू में काम किया जहां वर्ष १९९६ में वह डा. सुदीप कुमार की जीवनसाथी बन गयीं।  इस बाबत एक भेंट के दौरान नीमा पन्त ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण हमारी ड्यूटी और कार्यशैली में कई बदलाव किये गये हैं। ड्यूटी के दौरान जो पीपीई किट हम पहनते हैं, उसको ८ घण्टे तक पहनना पड़ता है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान तमाम दिक्कतें भी उत्पन्न होती है, फिर भी हम पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। हमारी ड्यूटी लगातार १५ दिन की होती है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत जीवन की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह से कटे रहते हैं। हम अपने परिवार, विशेषकर छोटे बच्चों से पूरी तरह से अलग रहते हैं।  फिलहाल मुझे हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि इस अभूतपूर्व संकट में मेरा पहला कर्तव्य मेरे मरीज हैं जिनकी सेवा ही मेरा परम कर्तव्य व धर्म है। मैं और मेरी पूरी टीम पूरी तन्मयता से अपने मरीजों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। इस दौरान मैं मरीजों को लगातार हिम्मत बंधाते हुये उनका मनोबल बढ़ाती रहती हूं। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मेरे मरीज यहां से स्वस्थ होकर अपने परिवार में जायं।  अन्त में आने वाली पीढ़ी के लिये संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट व मॉडल बनना परन्तु अगर आप समाज के लिये कुछ करते है और अपना शिक्षा नहीं रोकते हैं तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। साथ ही आने वाली पीढी के लिये उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने घर-परिवार के साथ समाज व देश के लिये जरुर कुछ करें, ताकि मनुष्य के रुप में धरती पर आना उनका सार्थक हो जाय। लाइक करके जुड़ जाइए इस पेज से और पढ़िए ब्रेकिग खबरें....  https://www.facebook.com/tejastodaynews/photos/a.2269183029857631/3052811768161416

‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन को लोगों से अपने जीवन में उतारने की नसीहत देने वाली नीमा पन्त पिछले २६ वर्षों से पीजीआई में मरीजों की सेवा कर रही हैं। पिछले ६ महीने से कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा करने वाली नीमा जी का मानना है कि वर्तमान की विश्वस्तरीय समस्या को देखते हुये ऐसा लगता है कि ईश्वर ने शायद इसी के लिये मुझ जैसे लोगों को धरती पर भेजा है। पिछले ६ महीने से अपनी १२ वर्षीय पुत्री से अलग रहने वाली नीमा जी का मानना है कि आज हम मां-बेटी एक-दूसरे से मिलने के लिये भले ही तड़प रहे हैं लेकिन हमारी यह तड़प किसी के लिये मरहम का काम कर रही है।

बता दें कि अपनी ममत्व को अपने कलेजे में छिपाने वाली नीमा पन्त मिसेज नार्थ इण्डिया, मिसेज प्लानेट दिवा, मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम नामचीन खिताब से नवाजी जा चुकी हैं जिसके चलते उन्हें ग्लोबल जस्टिस वर्ल्ड, विश्व संवाद परिषद, दि वर्ल्ड पीपुल्स फोरम सहित तमाम संस्थानों का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया है। वहीं डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिशन इण्टरनेशनल सहित तमाम विश्वस्तरीय संस्थानों ने उन्हें डाक्टरेट जैसी विशेष उपाधि से भी विभूषित किया है।

महामारी में लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनीं कोरोना योद्धा नीमा पन्त | #TEJASTODAY  मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम प्रतियोगिताओं की विजेता हैं नीमा  डाक्टरेट की उपाधि से नवाजी गयीं नीमा २६ वर्षों से पीजीआई में हैं कार्यरत  मासूम पुत्री से दूर रहकर ६ महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहीं सेवा  ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन के माध्यम से दीं नसीहत  लखनऊ। विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी महामारी के रूप में आये कोरोना वायरस को लेकर जहां हर आम व खास खौफजदा है जिसके चलते न कोई किसी के पास जा रहा है और न ही किसी की मदद के लिये आगे आ रहा है, वहीं इन सबसे अलग कुछ लोग अपना व अपने परिवार की परवाह किये बगैर कोरोना योद्धा के रूप में आगे आ गये हैं।   ऐसे योद्धा अपने मासूम बच्चों तक से पिछले ६ माह से अलग रहकर जानलेवा बीमारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे योद्धाओं में एक नाम नीमा पन्त नामक आयरन लेडी की है जो संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) लखनऊ में सीनियर नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।  ‘यह क्या कि चले और आ गयी मंजिल, मजा तो तब है कि पांव थकें, फिर भी चलें’ स्लोगन को अपने जीवन का सार बनाने वाली नीमा पन्त ने अपने कैरियर की शुरूआत कालेज और नर्सिंग कानपुर से की जिसके पहले प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मन्दिर कानपुर से किया। इसके बाद एमजी गर्ल्स कालेज से इण्टर करने के बाद उनका चयन बीएससी नर्सिंग ऑनर्स के लिये हो गया।   ‘अपने लिये जीये तो क्या जीये, तू जी ए दिल जमाने के लिये’ स्लोगन को लोगों से अपने जीवन में उतारने की नसीहत देने वाली नीमा पन्त पिछले २६ वर्षों से पीजीआई में मरीजों की सेवा कर रही हैं। पिछले ६ महीने से कोरोना से जूझ रहे लोगों की सेवा करने वाली नीमा जी का मानना है कि वर्तमान की विश्वस्तरीय समस्या को देखते हुये ऐसा लगता है कि ईश्वर ने शायद इसी के लिये मुझ जैसे लोगों को धरती पर भेजा है। पिछले ६ महीने से अपनी १२ वर्षीय पुत्री से अलग रहने वाली नीमा जी का मानना है कि आज हम मां-बेटी एक-दूसरे से मिलने के लिये भले ही तड़प रहे हैं लेकिन हमारी यह तड़प किसी के लिये मरहम का काम कर रही है।  बता दें कि अपनी ममत्व को अपने कलेजे में छिपाने वाली नीमा पन्त मिसेज नार्थ इण्डिया, मिसेज प्लानेट दिवा, मिसेज यूनिवर्स एशिया जोन सहित तमाम नामचीन खिताब से नवाजी जा चुकी हैं जिसके चलते उन्हें ग्लोबल जस्टिस वर्ल्ड, विश्व संवाद परिषद, दि वर्ल्ड पीपुल्स फोरम सहित तमाम संस्थानों का ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया गया है। वहीं डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिशन इण्टरनेशनल सहित तमाम विश्वस्तरीय संस्थानों ने उन्हें डाक्टरेट जैसी विशेष उपाधि से भी विभूषित किया है।  लगभग २१ वर्षों से थिएटर की शक्ल न देखने वाली आयरन लेडी नीमा जी अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माता श्री को मानती हैं। हालांकि आर्मी में आफिसर रहे उनके पिता भी उनके आदर्श हैं। इसके अलावा फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा को मैरी कोम के रूप में इसलिये आदर्श मानती हैं, क्योंकि इन लोगों ने जिसमें भी खुशी मिली, उसी में रहकर समाज के लिये कुछ अलग हटकर कीं। अपने भाई के अलावा ससुराल के सभी लोगों से मिले प्यार को साझा करते हुये नीमा जी का मानना है कि उनके जीवन में सबसे अधिक सहयोग उनके पति डा. सुदीप कुमार जो पीजीआई में प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट हैं, से मिला जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे जिससे उनका हौंसला निरन्तर बढ़ता है।  अल्मोड़ा में जन्मीं नीमा जी दिल्ली में वर्ष २०१९ में आयोजित प्रतियोगिता मिसेज यूनिवर्स चुनी गयीं। इसके अलावा इसी वर्ष लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज नार्थ इण्डिया की विनर बनीं। कालेज ऑफ नर्सिंग से बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स करने के बाद नीमा ने कोलकाता के बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट से कार्डियक नर्सिंग में १८ महीने का कोर्स किया। वर्ष १९९५ में पीजीआई लखनऊ में नर्सिंग अधिकारी के रूप आकर उन्होंने कार्डियोलॉजी आईसीयू में काम किया जहां वर्ष १९९६ में वह डा. सुदीप कुमार की जीवनसाथी बन गयीं।  इस बाबत एक भेंट के दौरान नीमा पन्त ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण हमारी ड्यूटी और कार्यशैली में कई बदलाव किये गये हैं। ड्यूटी के दौरान जो पीपीई किट हम पहनते हैं, उसको ८ घण्टे तक पहनना पड़ता है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान तमाम दिक्कतें भी उत्पन्न होती है, फिर भी हम पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। हमारी ड्यूटी लगातार १५ दिन की होती है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत जीवन की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह से कटे रहते हैं। हम अपने परिवार, विशेषकर छोटे बच्चों से पूरी तरह से अलग रहते हैं।  फिलहाल मुझे हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि इस अभूतपूर्व संकट में मेरा पहला कर्तव्य मेरे मरीज हैं जिनकी सेवा ही मेरा परम कर्तव्य व धर्म है। मैं और मेरी पूरी टीम पूरी तन्मयता से अपने मरीजों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। इस दौरान मैं मरीजों को लगातार हिम्मत बंधाते हुये उनका मनोबल बढ़ाती रहती हूं। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मेरे मरीज यहां से स्वस्थ होकर अपने परिवार में जायं।  अन्त में आने वाली पीढ़ी के लिये संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट व मॉडल बनना परन्तु अगर आप समाज के लिये कुछ करते है और अपना शिक्षा नहीं रोकते हैं तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। साथ ही आने वाली पीढी के लिये उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने घर-परिवार के साथ समाज व देश के लिये जरुर कुछ करें, ताकि मनुष्य के रुप में धरती पर आना उनका सार्थक हो जाय। लाइक करके जुड़ जाइए इस पेज से और पढ़िए ब्रेकिग खबरें....

लगभग २१ वर्षों से थिएटर की शक्ल न देखने वाली आयरन लेडी नीमा जी अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माता श्री को मानती हैं। हालांकि आर्मी में आफिसर रहे उनके पिता भी उनके आदर्श हैं। इसके अलावा फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा को मैरी कोम के रूप में इसलिये आदर्श मानती हैं, क्योंकि इन लोगों ने जिसमें भी खुशी मिली, उसी में रहकर समाज के लिये कुछ अलग हटकर कीं। अपने भाई के अलावा ससुराल के सभी लोगों से मिले प्यार को साझा करते हुये नीमा जी का मानना है कि उनके जीवन में सबसे अधिक सहयोग उनके पति डा. सुदीप कुमार जो पीजीआई में प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट हैं, से मिला जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे जिससे उनका हौंसला निरन्तर बढ़ता है।

अल्मोड़ा में जन्मीं नीमा जी दिल्ली में वर्ष २०१९ में आयोजित प्रतियोगिता मिसेज यूनिवर्स चुनी गयीं। इसके अलावा इसी वर्ष लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज नार्थ इण्डिया की विनर बनीं। कालेज ऑफ नर्सिंग से बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स करने के बाद नीमा ने कोलकाता के बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट से कार्डियक नर्सिंग में १८ महीने का कोर्स किया। वर्ष १९९५ में पीजीआई लखनऊ में नर्सिंग अधिकारी के रूप आकर उन्होंने कार्डियोलॉजी आईसीयू में काम किया जहां वर्ष १९९६ में वह डा. सुदीप कुमार की जीवनसाथी बन गयीं।

इस बाबत एक भेंट के दौरान नीमा पन्त ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण हमारी ड्यूटी और कार्यशैली में कई बदलाव किये गये हैं। ड्यूटी के दौरान जो पीपीई किट हम पहनते हैं, उसको ८ घण्टे तक पहनना पड़ता है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान तमाम दिक्कतें भी उत्पन्न होती है, फिर भी हम पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। हमारी ड्यूटी लगातार १५ दिन की होती है। इस दौरान हम अपनी व्यक्तिगत जीवन की सामान्य दिनचर्या से पूरी तरह से कटे रहते हैं। हम अपने परिवार, विशेषकर छोटे बच्चों से पूरी तरह से अलग रहते हैं।

फिलहाल मुझे हमेशा इस बात का एहसास रहता है कि इस अभूतपूर्व संकट में मेरा पहला कर्तव्य मेरे मरीज हैं जिनकी सेवा ही मेरा परम कर्तव्य व धर्म है। मैं और मेरी पूरी टीम पूरी तन्मयता से अपने मरीजों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। इस दौरान मैं मरीजों को लगातार हिम्मत बंधाते हुये उनका मनोबल बढ़ाती रहती हूं। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मेरे मरीज यहां से स्वस्थ होकर अपने परिवार में जायं।

अन्त में आने वाली पीढ़ी के लिये संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट व मॉडल बनना परन्तु अगर आप समाज के लिये कुछ करते है और अपना शिक्षा नहीं रोकते हैं तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। साथ ही आने वाली पीढी के लिये उन्होंने संदेश दिया कि वह अपने घर-परिवार के साथ समाज व देश के लिये जरुर कुछ करें, ताकि मनुष्य के रुप में धरती पर आना उनका सार्थक हो जाय।

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Gepostet von Tejastoday.com am Samstag, 29. August 2020

दाह संस्कार को गई शव को पुलिस ने लिया कब्जे में | #TEJASTODAY पत्नी सहित ससुराली जनों ने लगाया हत्या का आरोप सुरेरी, जौनपुर। बीते रविवार की रात लगभग 8 बजे नेवढ़िया थाना क्षेत्र के दोदापुर गांव निवासी छविनाथ मिश्र के 40 वर्ष पुत्र विनय मिश्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों की मानें तो युवक पारिवारिक कलह को लेकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। वही घटना के बाद मृतक के परिजन बगैर किसी को सूचना दिए मृतक के शव को दाह संस्कार के लिए वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर लेकर पहुंच गए थे। किसी तरह से घटना की सूचना मायके गई पत्नी प्रतिमा को लगी तो उन्होंने घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक जौनपुर सहित जिलाधिकारी जौनपुर को दी, और परिजनों के साथ पत्नी भी मणिकर्णिका घाट पहुंच गई। वही घंटों चले पंचायत के बाद नेवढ़िया पुलिस शव को कब्जे में लेकर थाने पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक की पत्नी प्रतिमा का आरोप है कि परिवार जनों द्वारा युवक की हत्या की गई है, और उसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है। वही मृतक के पत्नी का यह भी आरोप है कि जब वह अपने पिता दीनानाथ के साथ सोमवार को तहरीर देने नेवढ़िया थाने पहुची तो थानाध्यक्ष द्वारा फटकार लगाते हुए उन्हें थाने से भगा दिया गया। ग्रामीणों की माने तो मृतक अपने परिवार के साथ मुंबई में ही रहता था, लॉकडाउन के दौरान वह मुंबई से अपने घर आया हुआ था। मृतक की पत्नी रक्षाबंधन के पर्व पर अपने मायके गई हुई थी। मृतक को दो बच्चे हर्षीत 14 वर्ष, अंकिता 8 वर्ष है। इस संदर्भ में थानाध्यक्ष नेवढ़िया संतोष राय ने बताया कि पत्नी की शिकायत पर मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

स्वरोजगार के लिये आनलाइन आवेदन आमंत्रित |#TEJASTODAY जौनपुर। साहब सरन रावत उपायुक्त उद्योग जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केन्द्र ने बताया कि जनपद के युवा/युवतियों को उत्तर-प्रदैश सरकार द्वारा विशेष योजना एम०एस०एम०ई० के अन्तर्गत मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना हेत आनलाइन आवेदन के लिये पात्रता हाईस्कूल पास एवं आयु सीमा १८ से ४० वर्ष के बीच होनी चाहिए। निर्माण व सेवा क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने हेतु ऋण की सीमा १.०० लाख से २५.०० लाख तक है जिसमें आवेदक को २५ प्रतिशत अनुदान/छूट प्रदान की जायेगी। अधिक जानकारी के हेतु तहसीलवार सहायक प्रबन्धक/क्षेत्रीय सहायक शाहगंज व बदलापुर जय प्रकाश, ७००७६३७०६३, सदर व केराकत राजेश राही ९४५०३८८०८७, ७८८०३९६००१ एवं मडियाहूॅ व मछलीशहर राजेश भारती ७३९८२७८६७७, ७००७७२०३५८ से सम्पर्क करें। अन्य जानकारी के लिये किसी भी कार्य दिवस में कार्यालय आकर सम्पर्क किया जा सकता है।

Happy Independence day : Lotus Beauty Parlour & Boutique Center | Mohalla Nakhas Jaunpur | Mo. 9721480645, 7007896494 | #TEJASTODAY

कोरोना संक्रमण के चलते 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प | #TEJASTODAY मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय तहसील के अधिवक्ताओं ने बैठक कर कोरोना संक्रमण को मद्देनजर 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प रखने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम बिहारी यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को साधारण सभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुये अधिवक्ता 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इस मौके पर अधिवक्ताओं ने कहा कि तहसील में वादकारियों व अधिवक्ताओं की बढ़ती भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है जिसके कारण संक्रमण का बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में एहतियात के तौर पर यह निर्णय अति आवश्यक है। बैठक में महामंत्री अजय सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश चंद्र सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव, सुरेन्द्र मणि शुक्ला, जगदंबा प्रसाद मिश्र, नागेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, विनय पाण्डेय, हरि नायक तिवारी, वीरेंद्र भाष्कर यादव, मनमोहन तिवारी आदि उपस्थित रहे।

समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के निवर्तमान जिला उपाध्यक्ष राज यादव की तरफ से प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | #TEJASTODAYADD TEJASTODAY #TEJAS TODAY 4 Crore

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