हीट वेव के लिये जिला व तहसील स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित
अंकित सक्सेना
बदायूं। जनपद में लू-प्रकोप (हीट वेव) से बचाव एवं राहत कार्य तथा इसके प्रभावों को कम करने हेतु लू-प्रकोप (हीट वेव) कार्य योजना-2024 तैयार करने के सम्बन्ध में कलेक्ट्रेट स्थित सभा कक्ष में आहूत बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि गत वर्ष की घटनाओं का अध्ययन कर कार्य योजना तैयार की जाए। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अपने विभाग से संबंधित कार्य योजना तैयार कर तीन दिवस में दैवीय आपदा कार्यालय में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।
उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि समस्त अस्पतालों में लूप प्रकोप से बचने की व्यवस्थाएं पूर्ण करा ले। उन्होंने पीडी डीआरडीए को निर्देश दिए कि प्रत्येक गांव में एक तालाब अवश्य होना चाहिए। जिन गांवों में तालाब नहीं है, ऐसे गांव की कार्य योजना तैयार कर ली जाए। तालाबों में पशुओं के पानी पीने के लिए भरने की व्यवस्था भी की जाए। विद्युत विभाग सुनिश्चित करें कि लूज विद्युत लाइन सही कराई जाए। खाद्य पदार्थों का बाजारों में नियमित चेकिंग किया जाए। मनरेगा से जल संरक्षण के लिए झीलों को साफ कराया जाए। हीट वेव से बचाने के लिए नगरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में छिड़काव कराया जाए। गौशालाओं में हरा चारा, भूसा, छाया, पानी आदि व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई जाय।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डॉ0 वैभव शर्मा ने बताया कि जिला स्तर पर जिलाधिकारी कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रातः 10 बजे से 5 बजे तक सूखा नियंत्रण कन्ट्रोल रूम बनाया गया है जिसका दूरभाष नम्बर 05832-266114 है। प्रभारी अधिकारी दैवीय आपदा निधि पाण्डेय हैं। तहसील स्तर पर भी नियंत्रण कक्ष उपजिलाधिकारी कार्यालय में स्थापित किये गये हैं जिसके सम्पर्क नम्बर तहसील बदायूं 9454415833, तहसील दातागंज 9454415836, तहसील बिसौली 9454415835, तहसील बिल्सी 9454415837, तहसील सहसवान 9454415838 हैं।
उन्होंने हीट वेव रोगों/विकारों के लक्षण एंव प्रथमोचार पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गर्म लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना। तेज पल्स होना। उथले स्वास गति में तेजी। व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिर दर्द, मतली, थकान और कमजोरी होना चक्कर आना। मूत्र का न होना अथवा इसमें कमी आना। सर्वप्रथम व्यक्ति का तापमान लेकर प्रभावित व्यक्ति को किसी छायादार स्थान पर ले जाना चाहिये। मनुष्य के शरीर के उच्च तापमान को नियत्रित कर 100 डिग्री फा० तक रखने का प्रयास करें। मरीज को ठन्डे पानी के टप में रखें अथवा उसके उपर बर्फ की पट्टी रखें जब तक कि उसका तापमान 100 डिग्री फा० तक न हो जाय। निर्जलीकरण की स्थिति में आई०वी० फलूडस दें। गम्भीर रोगियों को स्थानीय चिकित्सालय/इकाई में भेजकर उपचार करायें।
उन्होंने हीट वेव के दौरान क्या न करें के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि तेज धूप में विषेष रूप से दोपहर 12 बजे से 3 तक बाहर न जायें। भीषण गर्मी में दोपहर के समय अधिक श्रम वाली गतिविधियों को न करें। 3. तेज धूप में नंगे पांव घर से बाहर न जाय। दोपहर में जब दिन का तापमान अधिक हो, उस दौरान खाना पकाने से बचें। रसोई घर को हवादार बनाये रखने के लिये खिडकी व दरवाजे खुले रखे। शराब चाय कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय पदार्थ का सेवन करने से बचे, क्योंकि ये शरीर को निर्जलित करते हैं। उच्च प्राटीन वाले भोजन से बचे और वासी भोजन न करें। पार्क किये गये वाहनों मे बच्चों या पालतू जानवरों को न छोड़े, क्योंकि वे लू से प्रभावित हो सकते हैं। इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अब्दुल सलाम, परियोजना निदेशक डीआरडीए बलराम कुमार सहित और संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।