गोवंशों का कब्रिस्तान साबित हो रही छिरहुंटा गौशाला
सचिव, प्रधान समेत आला अफसर तक कभी नहीं जाते गौशाला
रूपा गोयल
बांदा। योगी सरकार में गौवंशों को गौशालाओं में संरक्षित कर उनकी अच्छी देखभाल के सपने में धरातल की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं। वैसे तो जिले की हर गौशाला का यही हाल है पर बानगी के तौर पर छिरहुंटा गांव की गौशाला के हालात देखे जा सकते हैं। यहां बन्द मवेशियों की व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है, बारिश में पानी से सर्दियों में ठंड से और गर्मी में धूप के कराह रहे मवेशियों को खाने के लिए भूसा तो नाम मात्र का दिया जाता है। सस्ते भाव में उपलब्ध पुआल खा-खा कर मवेशियों को पतले दस्त लग गए हैं, यहां मवेशी शारीरिक रूप से बेहद कमजोर हो गए हैं। पानी और सूखे पुआल के भरोसे जीवन काट रहे मवेशियों की हालत देख गौशाला संरक्षकों और अधिकारियों के दिल में भले हलचल पैदा न हो लेकिन अन्य लोग बिना विचिलित हुए नहीं रह सकते।
मीडिया टीम ने छिरहुंटा गांव की गौशाला के हालत देखा। यहां बन्द करीब आधा सैकड़ा मवेशियों के सामने मोटा मोटा बुआल का भूसा डाला गया। वह भी मीडिया टीम के जाने के बाद डाला गया। पुआल का भूसा भूखे मवेशियों के लिए नाकाफ़ी था। भूख से टूटे मवेशी 5 मिनट में पुआल के भूसे को चट कर दिये। नाम न उजागर करने के नाम पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि दिनभर में एक बार ही थोड़ा पुआल का भूसा दिया जाता है।
उधर इस बाबत गौशाला संचालक पंकज का कहना है कि जब सरकार पैसा नहीं देती तो कहाँ से खिलाएं। सचिव साहब कभी आते नहीं, तीन माह हो गए एक बार भी नहीं आये। जो कुछ है, उसी में किसी तरह व्यवस्थाएं की जा रही हैं। उधर बीडीओ प्रकाश प्रसाद का कहना है कि मीडिया के जरिये गौशाला के हालात संज्ञान में आये हैं। गौशाला का दौरा कर जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
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