सार्वजनिक कुएं पर कब्जा: वार्ड नम्बर 35 बसन्तपुर में गर्मी एवं गन्दगी का बोलबाला
संजय कुमार
गोरखपुर। साहेबगंज फुटकर किराना मंडी गली कन्हैया लाल मुकुंद दास के ढीक सामने जहां लोग पूजा करने जाते हैं। कबाड़ इकट्ठा करके ढक दिया गया है और आगे दो दुकानें फुटपाथ पर लगा जिससे कुंआ बंद हो गया है। कुंआ खोलने और पेयजल की व्यवस्था बनाए जाने की मांग स्थानीय लोगों ने किया है जिससे जनता को गर्मी से राहत और गंदगी से छुटकारा मिल सकेगा। जहां नगर निगम स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान चला रहा है, वहीं कुछ अराजक और सामाजिक तत्व इस अभियान में जबरदस्त पलीता लगा रहे हैं। अधिकारी और कर्मचारी जान—बूझकर इस विषय पर आंखें मूढ़े हुए हैं। इस जगह पर बहुत बड़ी मंडी है। देखने की बात यह है कि जिम्मेदार का विश्वास ध्यान देते हैं। संवाददाता से बातचीत में अपने पीड़ा को व्यक्त किया और सार्वजनिक कुएं के अस्तित्व को बचाए रखने की अपील भी किया।
दशकों पहले की बात है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का मुख्य स्रोत कुएं थे। पीने के साथ ही सिंचाई का मुख्य जरिया भी यही था। हमारी सनातन संस्कृति की उपेक्षा के शिकार यह कुएं धीरे-धीरे पटते गए। तमाम ऐसे हैं जो पूरी तरह से ढक दिए गए हैं। इस तरह जल निकासी की समस्या दूर हो जाएगी और कुंए का जल का स्तर भी मेनटेन रहेगा। संवाददाता से बातचीत में स्थानीय लोग बचपन की यादों में खो गये जिन्होंने कहा कि जिनके पास कुआं होता था, उसे अमीर समझा जाता था। उस समय जीवन जीने का एकमात्र सहारा कुआं ही होता था जिस पर लोग पानी पीते थे, नहाते और कपड़े धोते थे। मांगलिक कार्यों में कुएं की पूजा की जाती है। विवाह के समय फेरे लिए जाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में कुएं की महत्ता आज भी बरकरार है। शादी से लेकर अन्य मांगलिक कार्यक्रम कुुएं के पास ही होते हैं। ऐसे कुएं मनरेगा से गहरा करने के साथ ही संवारे जाएंगे। यह कुएं जल निकासी के साथ ही जल संचयन का प्रमुख केंद्र बनाए जाएंगे। इस संबंध में इस संवाददाता ने जब विजेंद्र अग्रहरि से जब इस संवाददाता ने बात करना चाहा तो पूरी घण्टी बजी लेकिन काल रिसीव नहीं किया गया।
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