उत्तराखण्ड से जुड़ा मकड़जाल भेदना एम्स प्रशासन के लिये बनी चुनौती
महंगी मोनोपाली दवाओं में कमीशन के काले कारोबार वाले खिलाड़ियों का एक होटल बना शरणगाह एम्स के समीप मेडिकलों पर खबर से बाहरी दवा लिखना कुछ दिन बन्द मगर हालात फिर जस के तस
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। चिकित्सा क्षेत्र में जुड़े लोगों को जनमानस भगवान का रूप समझता है। उनके द्वारा दी जाने वाली औषधि उनके लिए वरदान होता है लेकिन जब दवाईयों में ही खेल शुरू हो जाए तो फिर मरीजों के लिए उनका दर्जा क्या बचा रह जाता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कुछ ऐसे कारनामे हो रहे हैं जिनसे यहां किये जाने वाले दावों की हवा निकालने के लिए यहां लिखी जा रही महंगी दवाएं निकाल रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो यहां चल रहे इस गोरखधंधे के तार उत्तराखंड से जुड़े हैं। महंगी दवाओं के खेल का मकड़जाल भेदना एम्स प्रशासन के लिए चुनौती बन चुका है। उल्लेखनीय है कि महंगी मोनोपाली दवाओं में कमीशन के काले कारोबार वाले खिलाड़ियों का शहर के स्थानीय एक होटल शरणगाह बना हुआ है।
तेजस टूडे द्वारा लगातार खबरों के माध्यम से इस खेल को उजागर किया तो एम्स के डाक्टरों ने बाहर की महंगी दवाओं को लिखना कुछ कम हुआ था लेकिन इस खेल में फायदा उठा रहे मेडिकल स्टोरों और एजेंसी के लोगों के दबाव आगे फिर हालात जस के तस हो चुके हैं। सरकार का सख्त निर्देश है कि कमजोर तबके के मरीजों को सस्ती दरों पर इलाज किया जाय लेकिन डाक्टरों और मेडिकल के व्यापारियों के आगे एम्स प्रशासन नतमस्तक हो चुका है। शायद यहीं कारण है कि इस खेल पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।
इस खेल में शामिल लोग खबरों के प्रकाशित होने से बौखला गये हैं। शायद इसीलिए खिलाड़ी अब खबरें नहीं छापने के लिए सिर्फ सिफारिश ही नहीं करा रहे हैं, बल्कि कार्यवाही किये जाने का भय भी दिखा रहे हैं।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।