भाजपाजनों ने रक्तदान शिविर और फल वितरित करके मनाया मोदी जी का जन्मदिन
भाजपाजनों ने रक्तदान शिविर और फल वितरित करके मनाया मोदी जी का जन्मदिन
अखिलेश श्रीवास्तव
लखनऊ। चिनहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर रक्तदान शिविर व फल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केंद्रीय राज्य मंत्री व मोहनलालगंज सांसद कौशल किशोर ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को सभी धर्मों के लोग मानते हैं। विश्वकर्मा पहले इंजीनियर थे। वर्तमान समय में देश निर्माण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम भूमिका निभा रहे हैं। कर्मठता की पराकाष्ठा ऐसी है कि 18 घंटा देश की सेवा के लिए काम करते हैं। इसी का नतीजा था कि कोरोना काल में सबको मुफ्त में अनाज मिला। कोई भूखा नहीं सोया। प्रधानमंत्री फसल दोगुनी उत्पादन की बात करते हैं। देश के पास इतना खाद्यान्न भंडार है कि 3 वर्षों तक कोई भूखा नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री लोकतंत्र के पक्षधर हैं।
इंडिया गेट राजपथ को कर्तव्य पथ नाम दिया तो विदेशियों की प्रतिमा हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई। वर्ष 2047 तक देश को पूर्ण रूप से विकसित करने का प्रधानमंत्री ने बीड़ा उठाया है। केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने नशा मुक्ति अभियान से जुड़ने का आवाहन किया। साथ ही नशा मुक्त समाज कराने का संकल्प लिया है। इस मौके पर स्थानीय विधायक योगेश शुक्ला के अलावा मंच संचालक जेपी पांडे, विनोद सिंह, अरविंद यादव, विपिन दुबे, अमन जयसवाल, आकाश कुमार, संजय सिंह, अवध बार एसोसिएशन अध्यक्ष जीएन शुक्ला, बीजेपी जिला महामंत्री धर्मेंद्र सिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख शिव दर्शन यादव, पार्षद प्रतिनिधि अरुण राय, बीजेपी मंडल अध्यक्ष कमल पांडे, पूर्व पार्षद दिनेश यादव, सुनील सिंह सूरज, प्रधान संघ जिलाध्यक्ष अमित राज यादव, सीएससी प्रभारी डॉ. अतुल वर्मा, बृजेंद्र श्रीवास्तव, योग सोशल सोसायटी संचालक हरिराम जयसवाल, विनोद तिवारी, भगवत प्रसाद मिश्रा, विवेक अवस्थी, श्रीराम पांडेय, महिला नेत्री शिव देवी, नीरज गुप्ता, नवीन राय और इकबाल अहमद आदि तमाम लोग मौजूद रहे।
आज भी अंग्रेजी को लेकर लोगों में है भ्रान्ति
केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि अंग्रेजी गुलामी का प्रतीक है। इसे देश की व्यवस्था से खत्म करना ही होगा। लोग हिंदी जानते हुए भी हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट यहां तक कि संसद में भी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन इससे आम जनमानस को न्याय नहीं मिल पाता है। प्रधानमंत्री विदेशों में भी हिंदी में ही भाषण देते हैं। सभी क्षमतावान देश अपनी मातृभाषा को ही महत्व देते हैं।
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