ग्रामीण अंचल में धनतेरस पर दिखायी दिया महंगाई का बड़ा असर
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। ग्रामीण अंचल में धनतेरस के दिन भारी संख्या में लोग मार्केटिंग कर अपने यहां लक्ष्मी की उपस्थित साल भर मानते हैं सामान्य से लेकर गरीब परिवार के लोग मार्केट से थोड़ा बहुत सामान खरीद कर यह दिखाने का पूरा प्रयास करते हैं कि हमने धनतेरस के दिन सामान खरीद लिया है साल भर लक्ष्मी जी का हमारे घर पर वास रहेगा लेकिन महंगाई के आलम ने इन सारी व्यवस्था पर विराम लगाते हुए गरीबों के घर तक सामान पहुंचने में महंगाई ने पूर्ण रूप से विराम लगा दिया है।
दीपावली के पर्व पर चारों तरफ खुशियों का आलम यह दिखाने का पूरा प्रयास करता है कि वह भारी संख्या में सामान की खरीद कर धन लक्ष्मी को अपने घर पर ले आ रहे हैं इस अवसर पर ग्राम पंचायत समदी के पूर्व प्रधान नन्हे यादव कहते हैं आज जब हम चांद को नापने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में गांव गली से आए हुए गरीब परिवार एक चम्मच, एक कटोरी या एक झाड़ू खरीदने के लिए ₹50 देने के लिए बाध्य हो रहा है तो ऐसे में गरीबी का अंदाजा और बढ़ती महंगाई का प्रकोप किसी से छुपा नहीं है उन्होंने कहा कि अच्छा तो तब होता जब महंगाई कम होती और गरीब संतुष्ट होकर बाजार से जो भी सामान ले जाता है उसे काफी राहत महसूस करता चारों तरफ मार्केट में सामान तो बहुत है लेकिन खरीदने के लिए जनता के पास पैसे गायब है ऐसा इसलिए कि महंगाई ने अपना पूरी तरह से बड़ा विस्तार कर लिया है। बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जो आज भी गरीबों की बात करते हुए कभी थकते नहीं है उन्होंने कहा कि धनतेरस का पर्व सुविधा संपन्न लोगों के लिए भले ही बहुत कुछ होता है लेकिन गरीब आदमी के लिए झाड़ू, चम्मच, कटोरी, गिलास तक ही सीमित हो जाता है ऐसे में बढ़ती महंगाई उसकी सारी भावनाओं को तार तार करके रख देता है। मनोज कुमार यादव एक मिठाई की दुकान चलाते हैं उनका मानना है हर साल आज के दिन बाजार में काफी भीड़ रहती थी लेकिन अब की बार भीड़ वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए और बिक्री का आलम यह है कि लोग किसी तरह से अपना काम चलाने के लिए थोड़ा बहुत सामान लेकर घर वापसी कर ले रहे हैं। बेचन यादव पेशे से किसान हैं वह आम लोगों की परेशानी को अच्छी तरह से जानते हैं वह कहते हैं कि जब बाजार में आम आदमी जाता है तो उसके दिमाग में होता है की कई सामान लेकर घर चलना है लेकिन दो एक समान लेते-लेते उसके सारे पैसे फुर्र हो जाते हैं और वह प्रयास करता है कि किसी तरह से अपनी सारी औपचारिकता पूरा करके घर चले इसके पीछे कुछ कहने की जरूरत नहीं है लेकिन महंगाई का सबसे बड़ा बोल वाला है। बहरहाल चारों तरफ आम आदमी धनतेरस के पर्व पर बहुत कुछ खरीद फरोख्त करता है जिसकी जितनी क्षमता है उसके हिसाब से लेन देन कर रहा है बाजार में भीड़ है लेकिन कारोबार कम है दुकान आदि पर कोई अंकुश नहीं रह गया है इसमें सरकार से लेकर सामान्य लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।
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