सीएचसी में आने वाले मरीजों को छोड़ परिसर में मौजूद आवास पर करते हैं प्राइवेट प्रैक्टिस
अधीक्षक होने के बावजूद कार्यालय में नहीं बैठते थे गैरजिम्मेदार डाक्टर पीके बैसवार
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। इन दिनों सीएचसी सलोन के डाक्टर अपनी भ्रष्ट कार्यशैली को लेकर लगातार सुर्खियों में चल रहे हैं।
सीएचसी के डाक्टरों की भ्रष्ट कार्यशैली पर पर्दा डालने वाले गैरजिम्मेदार सीएचसी अधीक्षक रहे पीके बैसवार अपने कार्यालय में आने वाले मरीजों को तो दर्शन नहीं देते किन्तु सीएचसी परिसर में मौजूद सरकारी आवास पर मरीजों से रुपए कमाने के उद्देश्य से अपने सरकारी आवास को ही सीएचसी बना दिए हैं परंतु यहां जब मरीजों को इलाज के बाद डाक्टर साहब को रकम देनी पड़ती है तो पता चलता है कि साहब अगर सीएचसी में इलाज करते तो जेब न ढीली करनी पडती। डा. पीके बैसवार को सीएचसी के डाक्टरों के भ्रष्ट कारनामों पर पर्दा डालने वाले या फिर यूं कहें कि उनके गुरु कहें जो कि लगातार आज तक भ्रष्ट डाक्टरों की कार्यशैली पर पर्दा डालते चलें आये। बचाव और यदि साहब के भ्रष्ट कारनामों का कोई खुलासा करने की सोचता भी है तो सीएचसी के डाक्टर गुंडा बन उनके ढाल बन उनके भी बचाव में उतर आते हैं। इधर मरीजों से सीएचसी में दवा न होने का रोना रोते हैं, उधर डा. पीके बैसवार सीएचसी की और बाहर से भी कुछ दवाएं मंगा सीएचसी के जानकार डाक्टर होने के नाम पर मरीजों से मनमाफिक रकम वसूलते हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार का खेल काफी अर्से से सीएचसी में चलने का कारण कोई और नहीं बल्कि डाक्टर पीके बैसवार ही हैं। सूत्रों की मानें तो सीएचसी के संविदा व सरकारी डाक्टरों के कारनामों को सीएमओ साहब तक मैनेज करवा देते हैं जिसके एवज में उनके एहसान का कर्ज उतारने के लिए डाक्टर भी उनके लिए डाक्टर से गुंडा बनने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। अब देखना यह है कि आखिर सलोन सीएचसी में भ्रष्टाचार का खेल आखिर कब तक चलता है?
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