महिलाओं को स्वावलम्बी बनाकर दे रहीं आजीविका कमाने का अवसर
अब्दुल मोबीन सिद्दीकी
उतरौला, बलरामपुर। 220 महिलाओं को स्वावलंबी बना कर आजीविका कमाने का अवसर देने वाली गैंड़ास बुजुर्ग के मिश्रौलिया गांव की निवासी अंजू देवी के पति का निधन 2018 में अग्निकांड की घटना में हो गया था। पति के निधन के बाद ससुराल पक्ष के लोगों का व्यवहार भी बदल गया। उत्पीड़न व तानों से आजिज होकर एक साल पहले उसने स्वयं सहायता समूह में जुड़ कर कुछ करने का हौसला जुटाया। शुरू में खेती का रुख किया।
स्वयं सहायता समूह के गठन से मिले चालीस हजार रुपयों से गन्ने की नर्सरी शुरू की। इससे चार लाख रुपये अर्जित करने के बाद तो मानो उसके हौसलों को पंख लग गए। महिलाओं को जोड़ कर मनरेगा के लिए बोर्ड बनाने का काम शुरू किया। इस काम में तेरह लाख रुपये जुटाने के बाद और महिलाओं को जोड़ कर गृह उद्योग के रूप में अचार बनाने का काम शुरू किया। महिलाओं के संयुक्त प्रयास से इसमें पचपन हजार रुपये अर्जित किया।
स्कूली बच्चों व महिलाओं के लिए कपड़े, यूनीफार्म के लिए छह महिलाओं को प्रशिक्षित कर सिलाई मशीन व अन्य जरूरी सामान मुहैया कराने वाली अंजू देवी को एनआरएलएम से मेडल व प्रशस्ति पत्र भी पिछले साल मिला हैघ्। अलग-अलग कामों में अब उसके साथ 220 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। महिलाओं वह युवतियों के लिए लगातार सकारात्मक सोच रखने वाली अंजू बताती है कि अक्तूबर से दूध की डेयरी शुरू करने के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। डेयरी से और महिलाओं को रोजगार देने की योजना है साथ ही प्रेरणा कैंटीनों के लिए शुद्ध दूध भी मिल सकेगा। आज के परिदृश्य में अंजू उन महिलाओं के लिए ऐसी मार्गदर्शक बन कर उभरी है जो एक मामूली घटना के बाद हौसला खोकर खुद को नियति के हवाले करके चुप बैठ जाती हैं।
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