आजमगढ़ से सांसद हुये दिनेश लाल यादव
मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ की जनता को दी बधाई
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। लोकसभा उपचुनाव में इस बार 18 लाख 38 हजार 930 मतदाताओं में से 49.48 प्रतिशत मतदान कर भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खेमे में हलचल मचा दी थी। यह वोट किस तरफ जा रहा है। कयासों और अनुमानों का दौर खूब चला तब ऐसा लग रहा था कि यह मतदान जो हो रहा है। एकतरफा पड़ रहा है, वहीं पर राजनीतिक विश्लेषक कई बिंदुओं को लेकर असमंजस की स्थिति में भी थे कि जीत किस करवट अपना रुख बदल देगी।
यह किसी को कुछ भी पता नहीं था। इस बार समाजवादी पार्टी के जिम्मेदार राजनीतिज्ञों में से समाजवादी पार्टी के मुलायम परिवार से कोई भी प्रचार पसार करने के लिए आजमगढ़ जिले में नहीं आया। अगर कोई आया तो एक औपचारिकता की रस्म निभा कर चला गया। इससे पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि समाजवादी गढ़ की इतनी मजबूत दीवारें हैं कि इसको किसी भी तरह से ढ़हाना भारतीय जनता पार्टी के बूते की बात नहीं है लेकिन शायद यही विश्वास अखिलेश परिवार को भी हो गया था जिसके कारण हार का मुंह देखना पड़ा। अगड़े-पिछड़े मतदाताओं के हिसाब से अटकलों और अनुमानों का जब दौर चल रहा था तो कभी समाजवादी पार्टी कभी बहुजन समाज पार्टी तो कभी भारतीय जनता पार्टी तार्किक ढंग से जीत की तरफ लगातार आगे बढ़ रही थी लेकिन सभी उम्मीदों अनुमानों पर ब्रेक लगाते हुए जब आज मतगणना शुरू हुई तो समाजवादी पार्टी लगातार आगे बढ़ती रहे।
ऐसा लग रहा था कि इस बार भी समाजवादी पार्टी ही जीत का सेहरा अपने सर पर बांधने में फिर सफल होगी। इसी तरह 2019 में दोनों सीट पर जीत दर्ज करने वाली सपा रामपुर और आजमगढ़ दोनों सीटों पर जीत के लिए पूरी तरह से इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने चुनाव प्रचार में उतरना भी जरूरी नहीं समझा और उधर भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर मैदान में एक जिम्मेदार स्टार प्रचारक से लेकर के मुख्यमंत्री तक को मैदान में उतार दिया किसी भी तरह से यह सीट अपने हाथ से नहीं निकलना चाहिए। अखिलेश यादव इस सीट को अपनी खानदानी सीट मानकर आजमगढ़ की जनता के ऊपर इतना विश्वास कर लिए आज यह दिन उनके लिए हार के रूप में देखना पड़ा आज जब चुनाव मैदान के बाद मतगणना का कार्यक्रम शुरू हुआ। उस समय धर्मेंद्र यादव स्ट्रांग रूम तक जाने के लिए प्रयास करते रहे और जिम्मेदार अधिकारी उनको रोकने का पूरी तरह से मन बना लिए थे, इसलिए वहा उस स्ट्रांग रूम तक नहीं जाने दिया गया जब गिनती का दौर शुरू हुआ तो लगातार समाजवादी पार्टी बढ़त बनायी हुई थी, उसमें समाजवादी पार्टी धीरे धीरे पीछे होती गई और अंततः पहले जमाली और फिर धर्मेंद्र यादव को स्वतः हार के अंदेशे से बाहर आना पड़ा।
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