आखिर भ्रष्टाचारी जेई पर विद्युत विभाग मेहरबान क्यों?
एक ही जगह पर वर्षों से तैनात जेई पर कई बार लग चुके भ्रष्टाचार के आरोप
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। अपनी भ्रष्टाचारी रवैए से सुर्खियों में रहने वाला विद्युत विभाग अपने एक जेई के कारनामों के बावजूद मेहरबानी दिखाने पर एक बार फिर सुर्खियों में आ चुका है। साथ ही कई तरह के विद्युत विभाग पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। हम बात कर रहे हैं विद्युत विभाग के एक भ्रष्ट जेई की जिसके एक ही जगह पर वर्षों तैनाती को लेकर जेई पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं।
अपनी पहुंच और विभाग के लाडले होने के चलते अब तक तबादला भी नहीं हो सका जबकि शासन से निर्देश है कि कोई भी अधिकारी व कर्मचारी एक जगह पर 5 या 6 वर्षों से अधिक नहीं रह सकते हैं परंतु शासन के आदेशों निर्देशों को धता बताते हुए जेई भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का काम कर रही है तो वहीं कई ऐसे भ्रष्टाचारी है जिन पर विभागीय अधिकारीयों की मेहरबानी से भ्रष्टाचार को अंजाम देने में कामयाब रहते हैं, क्योंकि कमाऊपूत पर हर कोई कार्यवाही नही करना चाहता है। दरअसल ताजा मामला जिले के त्रिपुला पावर हाउस का है जहाँ एक ही जगह पर भ्रष्टाचार में लिप्त जेई शम्भूनाथ लगभग बीते 8 से 10 वर्षों से इसी पावर हाउस में तैनात है और क्षेत्र में लगातार भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
हर महीने लाखों रुपए की वसूली करते हैं न कि राजस्व बढ़ाने के लिए, बल्कि अपनी जेब भरने के लिए। अगर इनकी इनकम की और संपत्ति की सही से जांच की जाए तो पूरे स्कैम का खुलासा हो सकता है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि साथ में काम करने वाले कर्मचारी व क्षेत्र के लोग कह रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि काम कराने के बाद पैसे नहीं देते हैं और पैसे मांगने पर हटाने की धमकी देते हैं। वहीं क्षेत्रीय लोगों से बिजली के बिल का हवाला देकर पावर बढ़ाने को लेकर भी जमकर वसूली हो रही है। गांव में जर्जर तार व खंभे खराब हो चुके हैं लेकिन उस पर ध्यान तक नहीं दे रहे जबकि कई बार शिकायत भी की गई हैं। वहीं कनेक्शन में किसी तरह की कोई त्रुटि छोटी सी भी होने पर एफआईआर की धमकी देकर उससे वसूली करते हैं। राही निवासी गंगा प्रसाद से पैसे मांगने का भी आरोप लगा है। ऐसे कई क्षेत्रीय लोग हैं जो जेई शम्भूनाथ के भ्रष्टाचारी रवैए के शिकार हो चुके हैं परंतु सवाल उठता है कि आखिर इतना सब होने के बावजूद विभागीय अधिकारियों द्वारा इस पर किसी तरह का कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है, यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
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