आखिर पेशकारों की क्या मजबूरी जो रोशन और लाला हैं जरूरी!
आखिर पेशकारों की क्या मजबूरी जो रोशन और लाला हैं जरूरी!
सदर तहसील में भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर मजबूत हो गयीं कि एसडीएम व तहसीलदार भी उसी में हुये जड़वत
पेशकारों के कमाऊ पूत बने रोशन और लाला का कार्य करने का बदला समय
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लाख कोशिशों के बाद भी फर्जीवाड़ा रोकने की जहमत उच्चाधिकारी नहीं उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सदर तहसील में बीते कई वर्षों से एक काकश बन चुका है जिसका एक सूत्रीय उद्देश्य अवैध धनउगाही करना होता है। जी हाँ, बीते काफी अरसे से सदर तहसील में भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर मजबूत हो गई हैं कि एसडीएम और तहसीलदार भी उसी में जड़वत हो चुके हैं। शायद यहीं कारण है कि अपने पेशकारों के साथ सरकारी पत्रावलियों में काम कर रहे तथाकथित कर्मचारियों को हटाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
प्रबुद्धजनों के बीच एक सवाल जोरों से कौन्ध रहा है कि आखिर पेशकारों की क्या मजबूरी है जो रोशन और लाला जरूरी हो गये हैं। फिलहाल इन सभी चर्चाओं के बीच पेशकारों के कमाऊ पूत बने रोशन और लाला का कार्य करने का समय बदल गया है। तहसील बंद होने के बाद से आफिस गुलजार हो जाता है जिससे कोई भी बाधा न उत्पन्न होने पाए और अवैध धन वसूली के लिए पत्रावलियों में छेड़छाड़ आसानी से की जा सके। लाला और रोशन तो बानगी हैं ऐसे दर्जनों फर्जी व्यक्तियों की दखलंदाजी बनी होने से पीड़ित फरियादियों की सुनने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि पीड़ित थक-हार करके इन्ही तथाकथित कर्मचारियों की गिरफ्त में आकर शोषण का शिकार हो रहे हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी का रवैया भी उदासीन बना हुआ है। उनका पक्ष जानने के लिए कई बार उनके सीयूजी नंबर पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी। लगातार शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं किया जाना जिले की मुखिया को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।