नाबालिग की रेप के बाद हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा

नाबालिग की रेप के बाद हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा

आरके धनगर
मथुरा। जनपद के चर्चित नाबालिग पीड़िता की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत ने शुक्रवार दोपहर आरोप पत्र दाखिल होने के 26 दिन के अंदर आरोपी पर दोष सिद्ध कर फांसी व 45 हजार का अर्थदंड की सजा सुनाई है।

इस केस की सरकार की ओर से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट श्रीमती अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि पीड़िता की मां ने थाना जैंत पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 13 अक्तूबर 2022 की शाम को जैंत निवासी सतीश पुत्र बुद्धाराम (30) उनकी 10 वर्षीय बेटी को घुमाने के बहाने ले गया। उससे बेटी की दुष्कर्म के बाद हत्या कर शव को पीएमबी पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास जंगल में फेंक दिया, जिसे पुलिस ने बरामद किया था। पुलिस ने पीड़िता की माँ की तहरीर पर धारा 363, 376 ए बी, 302 व 5एम/6 पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था, जिसकी संख्या 486/2022 है।

14 नवंबर को पुलिस ने युवक के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। इसकी सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत में हुई। कोर्ट ने मुकदमे में गवाही और सुबूतों के आधार पर अभियुक्त को दोषी माना। दोष सिद्ध होने के बाद शुक्रवार को अभियुक्त सतीश को धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में मृत्युदण्ड की सजा दी गई है। आदेश में कहा गया है कि अभियुक्त सतीश को फांसी के फन्दे पर तब तक लटकाया जाये जब तक की उसकी मृत्यु ना हो जाये, लेकिन उक्त दण्डादेश तब तक निष्पादित नहीं किया जा सकेगा जब तक कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पुष्टि ना कर दी जाये।

इसके अलावा अभियुक्त सतीश को धारा-363 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में 05 वर्ष के कठोर कारावास तथा मु० 5,000/ के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है, अर्थदण्ड अदा ना करने पर अभियुक्त 03 माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा। इसके ं’ अलावा अभियुक्त सतीश को धारा 1-376 ए. बी. भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में आजीवन कारावास (उसके जीवन की अंतिम सांस तक) तथा मु० 20,000/ के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। अर्थदण्ड अदा न करने पर अभियुक्त 06 माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा। पोक्सो अधिनियम की धारा-5 एम/6 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में आजीवन कारावास (उसके जीवन की अंतिम सांस तक) तथा मु० 20,000 के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है, अर्थदण्ड अदा ना करने पर अभियुक्त 06 माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा। श्रीमती उपमन्यु ने बताया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।

अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है। इस निर्णय की प्रति माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को मृत्युदंड की पुष्टि हेतु भेजी जायेगी। अभियुक्त के द्वारा अदा किये जाने वाले अर्थदण्ड में से 80 प्रतिशत धनराशि मृतका के माता-पिता को देय होगी। वादी की तरफ से सरकारी अधिवक्ता स्पेशल डीजीसी पॉक्सो कोर्ट श्रीमती अलका उपमन्यु के अलावा पूर्व एडीजीसी वीरेंद्र लवानिया व अधिवक्ता अनवर हुसैन रहे। अभियुक्त की तरफ से पैरवी अधिवक्ता योगेश तिवारी ने की। पीड़िता की माँ बाप ने कहा कि इतनी जल्दी जो हमें न्याय मिला है उसके लिए हम सभी का आभार प्रकट करते हैं और हमें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। अभियुक्त के वकील योगेश तिवारी ने कहा कि अभियुक्त ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था इसलिए यह सजा हुई है आगे हाईकोर्ट में क्या कार्रवाई हो सकती है ये देखेंगे।

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