प्राचीन देवस्थान को योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण कर कब्जा करने का आरोप
प्राचीन देवस्थान को योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण कर कब्जा करने का आरोप
सं. रामेन्द्र सिंह
चित्रकूट। सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्राचीन देव स्थान को विशेष समुदाय द्वारा किए गए अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी के नाम से अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। साथ ही ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से 5 सदस्यीय टीम बनाकर जांच कर कार्यवाही करने की मांग किया। बता दें कि राजापुर तहसील के अन्तर्गत आने वाले रायपुर बांगर मे स्थित देउरा माता नामक देवस्थान को लेकर है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम में ही रह रहे विशेष समुदाय के लोगों द्वारा बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से देवस्थान में अतिक्रमण कर कब्जा करने का काम किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए आज सैकड़ों ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी बात रखते हुए जिलाधिकारी के नाम से अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।
ग्रामीणों नें अपनी बात रखते हुए कहा की ग्राम में नयी बहू के आगमन से लेकर शिशू के जन्म के बाद तथा नये सम्बन्धों के लिए जाने से पहले ग्रामवासी हिन्दू परिवार देउरा माता देवस्थान में आकर पूजा करते हैं। यह स्थान गांव के स्थापना काल से ग्रामवासियों के लिए आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है। शासकीय दस्तावेजों मे भी देउरा माता देवस्थान का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त होता है। ग्रामीणों के अनुसार गेर हिन्दू मतावलंबी लगातार हमारे देवस्थान पर योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण कर रहे हैं तथा देवस्थान की मिट्टी का उत्खनन करके लगातार उस विरासत को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। मकानों का निर्माण भी बड़े सी योजनाबद्ध तरीके से किये जा रहे हैं जिनका पीछे का दरवाजा टीले की तरफ ही बनाया गया है।
पीछे के दरवाजे से लगातार मिट्टी का उत्खनन करके समतल स्थान बनाकर देवस्थान को विनष्ट करने का षड्यंत्र निरंतर जारी है। अपने देवस्थान की दुर्दशा देखकर इस धार्मिक स्थल पर आस्था रखने वाले इलाके के लोगों ने रोष जाताते हुए जिलाधिकारी से मांग किया कि देउरा माता देवस्थान को संरक्षित स्मारक घोषित किया जाय। साथ ही देवस्थान को अतिक्रमण मुक्त करने हेतु तथा साक्ष्याधारित निर्णय निर्धारण करने के लिए 5 सदस्यीय समिति में प्रशासनिक राजस्व, पुलिस तथा इतिहासविद् अवश्य रखे जायं। अब देखना यह है कि जिलाधिकारी अभिषेक आनंद इस पूरे प्रकरण को किस तरह अपने संज्ञान में लेते हैं एवं ग्रामीणों के आस्था का केन्द्र रहे इस देवस्थान को कैसे उसकी ख्याति दोबारा दिलाते हैं?