सरकारी अस्पताल के डाक्टर चला रहे निजी हास्पिटल तो सरकारी में मरीज क्या पायेंगे इलाज?
सीएमएस का व्यवहार नहीं है ठीक, वह मरीजों के साथ करते हैं गलत व्यवहार
उनका कहना है कि जनता का नौकर नहीं हूं, मैं अपनी मेहनत से बना हूं सीएमएस
रात में डाक्टर नहीं मिलते हैं अस्पताल में, लोगों की मानें तो वह करते हैं आराम
बदायूं। जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं की बातें तो अक्सर सामने आती हैं लेकिन बुधवार को सिटी मजिस्ट्रेट को ही इसका सामना करना पड़ गया।
सिटी मजिस्ट्रेट अपनी 4 साल की बेटी को सांस की तकलीफ होने पर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां उसे प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाया। अस्पताल की नेबुलाइजर मशीन खराब मिली तो कई बार कहने के बाद भी बच्ची को स्टाफ ने उपचार नहीं दिया। मजबूर होकर सिटी मजिस्ट्रेट बेटी को एक निजी नर्सिंग होम ले गए। सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार के अनुसार उनकी 4 साल की बेटी अंशिका को तड़के तीन बजे सांस लेने में तकलीफ हुई जिस पर वह उसे लेकर तत्काल जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड पहुंचे। वहां पर उन्हें एक व्यक्ति आधे अधूरे कपड़े पहने हुआ मिला। उस व्यक्ति को अपना परिचय दिया। साथ ही बच्ची को हो रही दिक्कत के बारे में बताया। उस व्यक्ति ने इमरजेंसी वार्ड की लाइटों को खोलकर नर्स को बुलाया। 10 से 15 मिनट बाद नर्स आयी और अंशिका को नेबुलाइजर मशीन लगाई लेकिन वह नहीं चली। दूसरी मशीन की भी यही हालत रही। पौने 4 बजे उन्होंने सीएमओ डा. प्रदीप वार्ष्णेय को भी इसकी जानकारी दी। सिटी मजिस्ट्रेट के अनुसार इस बीच, कई बार कहने के बावजूद कर्मचारी ने बेटी के लिए कोई आपातकालीन उपचार नहीं दिया। इसके बाद वह बच्ची को एक निजी अस्पताल में ले गए। सिटी मजिस्ट्रेट ने सीएमएस डा. विजय बहादुर राम से इसकी लिखित में शिकायत करते हुए कहा है कि वह रात में तैनात लापरवाह स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करें।
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