खबर का असर, शाहगंज रामलीला की 185 वर्षों की ऐतिहासिक परम्परा रहा कायम | #TEJASTODAY
जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल
चंदन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। जनपद के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग कानून समझ से परे है। बात हो रही है राम लीला, दशहरा, भरत मिलाप की जो जिले में कहीं स्थानीय प्रशासन धार्मिक आयोजन को अपनी क्षत्रछाया में सकुशल संपन्न करा रहा है तो कहीं धार्मिक परंपराओं पर स्थानीय प्रशासन ने ग्रहण लगा दिया है। जनपद की सबसे समृद्ध तहसील शाहगंज की ऐतिहासिक श्रीराम लीला 185 वर्ष पुरानी है।
शाहगंज में प्रशासन ने लगा दिया है ग्रहण नामक शीर्षक पर तेजस टूडे डॉट कॉम ने सोमवार की सुबह एक खबर प्रकाशित किया था जिससे स्थानीय प्रशासन संज्ञान में लिया और सोमवार की शाम तक ऐतिहासिक रामलीला पर लगा महामारी का ग्रहण हट गया। प्रशासन व रामलीला समिति में उपजे गतिरोध के बीच समिति के कार्यकर्ताओं ने हिन्दू युवा वाहिनी के नेतृत्व में नवरात्र के तीसरे दिन रथ निकालकर लीला स्थल पक्का पोखरा पर दिन की लीला संपन्न कराया।
कोरोना महामारी को लेकर स्थानीय प्रशासन ने लीला मंचन के लिए मौखिक अनुमति तो दी थी।
क्या धार्मिक परंपराओं पर ग्रहण लगाना डीएम साहब का आदेश है? | #TEJASTODAY
क्या धार्मिक परंपराओं पर ग्रहण लगाना डीएम साहब का आदेश है? | #TEJASTODAY
लेकिन रथ निकालने पर राजी नहीं हुए। कई चरणों में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कोई निर्णय नहीं निकल सका था। समिति के कार्यकर्ताओं ने रामलीला समिति के अध्यक्ष रूपेश जायसवाल पर कोतवाल द्वारा दबाव बनाने का भी आरोप लगाया था। रविवार को जिले के मड़ियाहूं में निकले रामरथ की सूचना पर नगर में रामभक्त पुलिस पर जबरदस्ती का आरोप लगाते हुए रथ निकालने का निर्णय लिया।
सोमवार को हिन्दू युवा वाहिनी के अध्यक्ष अक्षत अग्रहरि के नेतृत्व में संगत मंदिर शाहपंजा से पूजन अर्चन के बाद उठाया गया। जो अपने निर्धारित मार्गों पुराना चौक, रामलीला भवन चौक, मुख्य मार्ग, सत्तन तिराहा होते हुए पक्का पोखरा स्थित रामलीला मैदान पहुंचा। जहां दिन की लीला संपन्न हुई। इस संबंध में पूछे जाने पर उप जिलाधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि लीला मंचन के लिए अनुमति दी गई थी। राम रथ के लिए रोक थी। लेकिन मड़ियाहूं में रथ निकलने पर शाहगंज में 15 लोगों के साथ रथ निकालने का आदेश दिया गया है।