बागै का सीना चीर रहे माफिया, जारी है अवैध खनन का खेल
दो जिलों के मध्य बह रही बागै नदी अपने अस्तित्व को बचाने के लिये रो रही
रूपा गोयल
बबेरू, बांदा। आखिर कब तक बागै नदी का सीना चीरकर अवैध तरीके से खनन कर बालू माफिया लाल सोना लूटकर मालामाल होते रहेंगे। खाकी वर्दी की आड में सफेदपोश धारीयो के संरक्षण में नदी का लाल सोना चोरी छिपे बालू माफिया वर्षों से लूटते आ रहे हैं। लोगों की शिकायतों के बाद भी अफसर शाही की नाकामी हमेशा शिकायतकर्ताओं के उत्पीड़न का कारण बनी है। माफियाओं की सांठगांठ के आगे शासन प्रशासन की रोक के बावजूद अवैध बालू खनन पर विराम नहीं लगा। इस चोरी छुपे खेल में खाकी वर्दी सफेद पोश धारी नेता हमेशा से दागदार होते रहे हैं। इन्हीं की सांठगांठ के संरक्षण से बागै नदी में अभी भी चोरी छुपे लाल सोना लूटने की अवैध रूप से कई खदाने खुली है। जो देर शाम से चालू होकर सुबह तक बंद हो जाती है। चित्रकूट, बांदा दो जिलों के मध्य बह रही बागै नदी अपने अस्तित्व के बचाने के लिए लगभग दो दशकों से संघर्ष कर रही है। इस नदी में आधा दर्जन से ज्यादा बालू घाट हैं। जहां से वैध अवैध रूप से बालू निकासी का काम होता आया है। इस नदी की बेश कीमती बालू की कीमतों को देखकर हमेशा से बालू माफिया चोरी छुपे खाकी वर्दी की आड़ में सफेद पोशधारियों के संरक्षण में बागै नदी का सीना चीरकर बड़ी बड़ी मशीनों के जरिए लालसोना लूटने की कवायद करते हैं। हमेशा से इस कारनामे में वह सफल भी रहे। पुलिस नेताओं से मिलकर माफिया हर वर्ष करोड़ों का बालू व्यापार कर मालामाल होकर कमाई का कुछ अंश दोनों की भेंट चढ़ाकर जून के अंतिम सप्ताह में घर वापसी करते हैं। नदी के इस पार बांदा जनपद के घोषण, अछरील, लमियारी, लोहरा, गडौली, बछौधा, ममसी, डिघौरा, दरसेडा, आदि प्रमुख बालू घाटों पर मौका पाकर माफिया सक्रिय होते हैं।। लाल सोने की लूट में पुलिस हमेशा से बहती गंगा में हाथ धोती रही है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में आचार संहिता के लागू होते ही घाटों से बालू निकासी का काम चोरी छुपे शुरू हो गया। सैकड़ो ट्रैक्टर अबैध बालू निकासी ने घोषणा घाट पर पर्यावरण,एन जी टी नियमों की चिंता किए बगैर माफियाओं ने नदी का स्वरूप ही बदल दिया। शिकायतकर्ता प्रेमचंद साथ ही हुकुमचंद ने मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत कर बालू रोकने की फरियाद लगाई। प्रशासन के दबाव से खाकी वर्दी रातों-रात घाट पर छापा मार कर खाली हाथ बैरंग वापस होक़र अपनी पीठ थपथपा कर राहत की सांस ली। दोनों का आरोप है कि पुलिस कभी भी झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेज सकती है हम लोग नेता, पुलिस के निशाने पर हैं। घोषण घाट की छापामार करवाई में पुलिस को घाट पर मशीने, ट्रैक्टर तो दूर बालू खनन के चिन्ह भी नहीं मिले। थाना प्रभारी ऋषि देव सिंह का कहना था कि कुछ हाथ नहीं लगा। माफियाओं का एक सिपहसालार हाथ आया है ।जिसका शांति भंग में चालान कर कार्यवाही पूरी कर ली गई है। भूमिधरी किसानों के विरोध के बावजूद जिस तरह खेतों से जबरन बालू लदे ट्रैक्टर निकाले जाते हैं। उन लोगों में आक्रोश है। वह स्थानीय पुलिस को दोषी मानते है। कहना है कि पुलिस की शह के बगैर बालू घाटों पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता। इस पर माफियाओं की छत्रछाया खाकी के आलावा सफेद पोशधारियों की है। तभी तो बालू माफिया अवैध खनन को अंजाम देकर राजस्व को लाखों का चूना लगा रहे हैं। बल्कि लगभग दो दशकों से मालामाल हो रहे हैं। बांगै नदी का समाप्त होता अस्तित्व नदी किनारे गांवों के बाशिंदों लिए पर्यावरण की दृष्टिकोण से घातक है। वही लगातार बालू खनन से नदी का जलस्तर समाप्ति की ओर है। जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर बह रही बांगै नदी प्रशासन के लिए एक चुनौती है। बालू माफिया जहां नदी का वजूद समाप्त करने पर लगे हैं। वहीं तलहटी गांवों के किसान लोग नदी के अस्तित्व बचाने के लिए शासन प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। देखना है कि नदी का अस्तित्व बचा रहता है या फिर माफिया लाल सोना लूटने के चक्कर में नदी का वजूद ही समाप्त कर देंगे।
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