आध्यात्मिक जीवन यात्रा
मिट्टी से निकले, हर वैभव, मिट्टी में समाते, हैं एक दिन।
कालचक्र द्वारा, हो संचालित, दिन मान बदलते हैं, निश-दिन।।
प्रतीक्षा परीक्षा, समीक्षा करिए, निश दिन अपना, व्यवहार पढ़िए।
दूसरों के प्रति, कितना आदर, अपने भीतर के, गुण गढ़िए।।
कोई व्यक्ति न कोई, वस्तु विशेष, आपका मिटा सकता, है कलेश।
आत्मविश्वास, दे सकारात्मक मोड़, आत्मिक भाव मिले, आनन्द प्रदेश।
वैभव अनुभव, होगा संभव, सारा विश्व भरा, सकारात्मकता से।
आपकी स्थिति, जैसी होगी, वैसा ही दिखेगा, प्राथमिकता से।।
चित्त बाहर जाता, अधिक अगर, भीतर नहीं रहता, आपके पास।
दूर जंगल, काल्पनिक कुटिया में, आँखें बन्द कर, लो एकान्त वास।।
जीवन में मिले, जब मौका कभीं, सारथी बनना, स्वार्थी नहीं जी।
आपदा में अवसर, कर प्रदान, दुख उनका हरो, आत्मिकता में ही।
कामना प्रेरित कर्म, करने से पूर्व, कर लो विचार, परिणाम जरा।
जो घट जाएगा, वापस ना मिले, परिणाम प्रारब्ध बन, होगा खड़ा।।
प्रार्थना भेजना, परमात्मा को, पहले करो, अपने मन को शान्त।
मन की शान्ति, तार उनसे जोड़, सूचना लाती, प्रार्थना उपरान्त।।
आकार मिला, अहंकार आया, ब्रह्मांड में फैली, है माया।
पल-पल ही, समर्पण जो जीता, अहंकार को वही, हरा पाया।।
श्रीधर मिश्र
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