शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया सावित्रीबाई फुले की जयन्ती
अनिमेष कुमार
भभुआ (बिहार)। भारत की प्रथम शिक्षिका महिला सावित्रीबाई फुले की जयंती सरदार वल्लभभाई पटेल महाविद्यालय के पुस्तकालय भवन में संपन्न हुआ। सावित्रीबाई फुले का जयंती का अध्यक्षता पुस्तकालय अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार ने किया।
सत्येंद्र कुमार ने कहा कि 19वीं सदी में भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत सती प्रथा बाल विवाह तथा विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। गणित विभागाध्यक्ष उपेंद्र कुमार निराला ने माता सावित्रीबाई भारत की प्रथम शिक्षिका महिला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 9 वर्ष की उम्र में शादी हुई तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों तथा शिक्षा के अधिकार से वंचित समाज एवं सभी वर्ग की महिलाओं के लिए काम किया।
उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं के लिए इन्होंने पहला स्कूल खोला जो भारतीय महिलाओं के उन्नयन प्रथम आधारशिला थी। राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डा. केशव प्रसाद भारती ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ एवं महापरिनिर्वाण 10 मार्च 1897 को हुआ। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले के पिता खण्डोजी नेवसे पाटिल एवं माता लक्ष्मी बाई उनके पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले थे।
सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष श्रीमती मंजू पांडे, मनसा कुमारी, गुलनाज बानो, गीता कुमारी, सीमा कुमारी खलीकुन खातून, शमा परवीन, सोनम कुमारी आदि लोगों ने उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण किया एवं महिलाओं के मान सम्मान के लिए संघर्ष करने वाले प्रेरणा का स्रोत माना।
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