भगवान हमेशा सही रास्ता दिखाते हैं चलना व न चलना आपका काम: जया किशोरी
राजेश श्रीवास्तव
अयोध्या। हैदरगंज बाजार में श्रीमद्भागवत् कथा के अंतिम 7वें दिन विश्वविख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता पूज्य जया किशोरी के श्री वचनों से कथा प्रसंग का प्रारंभ राधा कृष्ण के मनोहारी भजन से हुआ। निःस्वार्थ प्रेम सर्वोपरि है। भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं से यही सीख समाज को देते हैं।
तदुपरांत सद्रदिक राजा की पुत्री सत्यभामा, जामवंत की पुत्री जामवन्ती के विवाह और कृष्ण सुदामा के कारुणिक मिलन की कथा का गायन शैली के माध्यम से श्रवण कराया। मूर नामक राक्षस का वध करने से मुरारी कहलाये। जरासंध भीम युद्ध उसके बध की कथा को सविस्तार सुनायीं । कथा को आगे बढ़ाते हुए पूज्या किशोरी जी ने कहा भगवान हमेशा सही रास्ता दिखाते हैं लेकिन चलना व न चलना आपका काम है। उन्होंने पाण्डवों और कोरवों दोनों को सही रास्ता दिखाया फिर भी सांसारिक लोग करते वही हैं जो वह चाहते हैं परंतु होता वही है जो भगवान चाहते हैं। महाभारत का युद्ध हुआ।
अधर्म पर धर्म की विजय हुई। गांधारी ने भगवान कृष्ण को समूल वंश नष्ट होने का श्राप दिया। कृष्ण जी के मृत्यु की कथा कही। कथा के अन्त में परीक्षित को ज्ञान हुआ और उन्होंने सहर्ष मृत्यु के सच को स्वीकार किया। इसी के साथ सियाराम सर्राफ सपरिवार द्वारा करवाये गए अविस्मरणीय श्री मद्भागवत् कथा का समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की अथाह भीड़ के आगे पंडाल छोटा पड़ गया। श्रोता किशोरी जी को देखने और उनकी कथा को सुनने के लिए लालायित दिखे। परिसर की व्यवस्थित भव्यता, दर्शकों का समर्पित भक्तिमय अनुशासन और हैदरगंजवासियों के समर्पित सानिध्य के साथ मुख्य यजमान सियाराम सर्राफ का सपरिवार का विनम्र आचरण सराहनीय है।
जया किशोरी के मृदुल कंठ से श्री मद्भागवत् कथा क्षेत्र और अयोध्या के लिए गौरव की बात है। दूर—दराज जनपदों से आए श्रोताओं ने कहा कि ऐसा भव्य आयोजन हमने अभी तक नहीं देखा। आध्यात्मिक क्षेत्र में ऐसा आयोजन निःसंदेह अद्वितीय और अविस्मरणीय रहेगा। अंत में किशोरी ने उपस्थित सभी श्रोताओं एवं आयोजक परिवार एवं सहयोगियों को अपने धन्यवाद आशीर्वाद से अभिसिंचित किया।
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