सामूहिक विवाह में एक—दूजे के हुये 18 जोड़े
गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। कन्या दान से बड़ा कोई दान नहीं बेटी का होना किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। एक बेटी ही है जिसके साथ आप हंसते हैं सपने देखते हैं और पूरे दिल से प्यार करते हैं। वह बेटी ही है जो बड़ी होकर आपकी सबसे अच्छी दोस्त बनती है। माँ बाप का बेटी के साथ जो रिश्ता होता है, वह बाकी सभी रिश्तों से अलग ही होता है लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता होती है उन्हें बेटी नहीं चाहिए पर यह सत्य है कि दूसरे की बेटी बहू और पत्नी के रूप में चाहिए ।
समाज में गरीब असहाय लोगों के मसीहा एवं उनके दिलों पर राज करने वाले जो गरीब अपनी बेटियों की शादी करने में असमर्थ हैं, उन लोगों की पुत्रियों की शादी कराने का बीड़ा उठाने वाले कश्यप समाज पिछड़ा एकीकरण मंच के संस्थापक राजेश कश्यप द्वारा सर्व समाज सामूहिक विवाह में 18 निर्धन गरीब बेटियों का विवाह रीति—रिवाज व सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ स्थानीय आडिटोरियम में सम्पन्न कराया गया। राजेश कश्यप ने सभी नव वैवाहिक जोडों को दान दहेज में अलमारी बक्शा बर्तन कपड़े बिछिया सहित अन्य सामान दिया। इस अवसर पर पूजा, चन्द्रा, सीताराम कश्यप, अरविंद सिंह, धर्मेन्द्र यादव, राकेश कश्यप, सुरेन्द्र सिंह वर्मा, अचल रस्तोगी, अम्बिका सोनी, डा. विवेक वर्मा, कशिश सिंह, नितिन परिहार, निष्ठा शर्मा सहित दर्जनों समाजसेवी मौजूद रहे।
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