10 दिवसीय नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का हुआ शुभारम्भ

10 दिवसीय नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का हुआ शुभारम्भ

राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। भेटुआ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जन शिक्षा समिति काशी प्रदेश के प्रदेश निरीक्षक राज बहादुर दीक्षित जिनके द्वारा मां सरस्वती का पूजन अर्चन के उपरांत काशी प्रदेश के अनेक विद्यालय से आये 75 नव चयनित आचार्य/आचार्या दीदियों ने NEP 2020 के बारे में विस्तार से सुना।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि पहले गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा शिक्षा दी जाती थी, शिष्य गुरु के आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करता था। बाद में विश्वविद्यालय उसका रूप ले लिया जिनमें प्रमुख नालंदा, तक्षशिला, वल्लभी आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। वख्तियार खिलजी जो तुर्किस्तान का रहने वाला था। भारत की संस्कृति को नष्ट करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय के हजारों शिष्यों को मौत के घाट उतारकर विश्वविद्यालय में आग लगा दी थी। इस विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना की जा रही है। उसके बाद मैकाले ने भारत के शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए यहां का पाठ्यक्रम एवं सारी व्यवस्थाओं को बदल दिया। उसने शिक्षक को नौकरी करने वाली व्यवस्था दे दी। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया। जब देश स्वाधीन हुआ तो भारत के शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 1952 में गोरखपुर में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर प्रारंभ हुआ। तीसरी बार शिक्षा नीति में परिवर्तन करके वर्तमान प्रधानमंत्री ने 23 सितंबर 2020 को नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति पारित कर दिया जिसमें शिक्षा का स्वरूप 5+3+3+4 रखा गया।
स्कूली शिक्षा 18 वर्ष तक निश्चित की गई। इसमें शिक्षा भारत केंद्रित और बाल केंद्रित रखी गई। सभी को अक्षर ज्ञान अवश्य हो। प्रारंभिक शिक्षा के लिए ज्वायफुल लर्निंग की व्यवस्था की गई। शिक्षक प्रशिक्षित होना चाहिए। मूल्यांकन परक शिक्षा होनी चाहिए। अध्यापक का मूल्यांकन छात्र, अभिभावक एवं प्रधानाचार्य द्वारा किया जाए। अध्यापकों को नवाचार के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।

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