बागेश्वर धाम बनने की ललक बच्चे को कहां ले जायेगी?

बागेश्वर धाम बनने की ललक बच्चे को कहां ले जायेगी?

देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। भागवत कृपा कब किसके ऊपर बरस जाय, यह तो भगवान को ही पता होता है लेकिन कुछ प्रकृति की व्यवस्था अपने आप यह दिखाने की पूरी कोशिश करती है कि आने वाला बच्चों का भविष्य किस मुकाम तक पहुंच सकता है, यही सवाल आज जनपद आजमगढ़ के विकास खंड अहिरौला क्षेत्र के बस्ती भुजबल बाजार के निकट कठहीं गांव में रहने वाले हिमांशु चौबे पुत्र संतोष चौबे इनकी उम्र तो अभी बहुत ही कम है लेकिन लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। साधु, सन्तों की संगत प्रवचन देने वाले विद्वानों के पास उठना बैठना ये सब यह साबित करता है कि उम्र भले ही अभी 15 वर्ष के आस—पास है‌ लेकिन परिपक्वता बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि ज्ञान और अनुभव उम्र से ज्यादा ही दिखाई दे रहा है। साधु संतों के बीच में उठना बैठना भाषा भी लोगों के सामने बहुत कुछ कह जाती है, उसको उस ढंग से पेश करना उनके स्वभाव में बन चुका है। इनसे जब कभी बात की जाती है तो यह कभी कम स्तर की बात नहीं करते हैं। बागेश्वर धाम से ज्यादा प्रभावित रहते हैं। यही कारण है कि कई बार उनका दर्शन भी कर चुके हैं। विन्ध्याचल मन्दिर के पास भी भक्ति रस में डूबे बाबाओं से भी इनका संपर्क बना हुआ है। क्षेत्रीय साधु संतों के बीच में लगातार उनकी बातों को सुनना अपना प्रवचन लोगों के सामने रखना यह साबित करता है कि दूर भविष्य में बहुत कुछ करना अभी बाकी है। उन्हें हिमांशु चौबे नहीं, बल्कि हिमांशु दास जी कहना अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि प्रात:काल उठिके रघुनाथा, मात पिता गुरु नावहिं माथा अर्थात हिमांशु दास जी महाराज कहते हैं कि भगवान राम का आदर्श इतना ऊंचा और महत्वपूर्ण इसलिए हुआ, क्योंकि वह सबसे पहले अपने माता-पिता और गुरु जब सुबह में उठते तो पहले प्रणाम करते थे।

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