निर्मल मन से अराधना करने वाले अवश्य प्राप्त होती है भगवान की कृपा
निर्मल मन से अराधना करने वाले अवश्य प्राप्त होती है भगवान की कृपा
शिवमंगल अग्रहरि
राजापुर, चित्रकूट। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर से करीब 3 किमी दूर रगौली मोड़ स्थित सिद्ध आश्रम खोहरा बाबा के पास वन्दना ऑयल एण्ड फ्लोर मील के संयोजकत्व में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को कथा व्यास डॉ श्याम सुंदर पाराशर महाराज वृंदावन ने कहा कि कलियुग में केवल भगवान का नाम ही एक ऐसा आधार है, जिसे जपने से बड़े-बड़े पापियों को मोक्ष मिल चुका है।
कथा व्यास ने कहा कि कलियुग केवल नाम अधारा, जपत-जपत नर उतरी पारा अर्थात कलियुम में भगवान के नाम की महिमा अपरंपार है। पापी वाल्मिकि उल्टा नाम जप कर ऋषि की उपाधि धरण की थी। गाडिका, अजामिल जैसे पपियो को प्रभु ने अपनी शरण में लिया था। कहा कि जो मनुष्य शास्त्रों के आधार पर चलता है, वह सांसारिक काम, क्रोध, मद, लोभ से विरक्त होकर वह निश्चित ही साकेत गामी होता है। सत्संग ही एक ऐसा माध्यम है जो आत्मज्ञान के साथ आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। इस भौतिक शरीर में एक ऐसा तत्व है, जो अजर और अमर है। यदि उसे निर्मल कर ले तो भागवत की कृपा अवश्य प्राप्त हो सकती है। राजा जड़ भरत का दृष्टांत देते हुए कहा है कि रहु मणी राजा के पालकी के पालक ने सत्संग के माध्यम से राजा को आत्मज्ञान का बोध कराया था और सृष्टि में अंधकार को नष्ट करने के लिए भगवान भास्कर की आवश्यकता होती है लेकिन मानव शरीर के अंदर अंधकार को नष्ट करने के लिए सतगुरु की आवश्यकता पड़ती है। भारतवर्ष में ऐसा कोई ग्रंथ नहीं है, जो हिंसा की इजाजत देता है। जो जीवों पर दया करता है और इंद्रियों पर नियंत्रण कर लेता है, उसी को गोस्वामी की उपाधि दी जाती है और वह व्यक्ति संसार में कभी दुखी नहीं रह सकता हैं।
कथा में दिवाकर द्विवेदी, सन्तोष त्रिपाठी, घनश्याम द्विवेदी, कृष्णदत्त द्विवेदी, अन्नू मिश्रा, अंशू पाण्डेय, पप्पू द्विवेदी, सीताराम द्विवेदी, राजेन्द्र द्विवेदी, अनुज द्विवेदी, रितेश पाण्डेय, गौरीदत्त द्विवेदी, नीलेश द्विवेदी, सत्यम द्विवेदी सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।
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