श्रीमद् भागवत कथा का हो रहा आयोजन
रूपा गोयल
खप्टिहा कला, बांदा। स्थान सिद्ध गढ़ी दाई प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत के द्वितीय दिवस में ग्राम खप्टहा कला के ही भागवताचार्य भरत बाजपेयी ने शुकदेव का वर्णन करते हुए कहा कि ऐसा विरक्त और उर्ध्वरेता वक्ता होना असम्भव है जिसने परीक्षित जैसे मृत्यु से डरे हुए व्यक्ति को 7 दिन में जीते जी मुक्ति प्रदान कर दिया। श्रीमद्भागवत का महात्म्य बताते हुए भरत बाजपेयी ने कहा कि श्रीमद्भागवत श्री नारायण के मुख से निकला हुआ आप्त वचन हैं जिसका विस्तार वेद व्यास जी ने किया। जन्माद्यस्य यतरू की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा श्रीमद्भागवत सर्वभौम ग्रंथ है जिसका परम सत्य रूपी परमात्मा ही सार है। उनके अनुसार ईश्वर ही उत्पत्ति पालन और संहार का हेतु है। धर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक कहलाने का अधिकार उसी को है जो कपट रहित हो या परोपकारी हो। जिस दिन मनुष्य संसार रूपी वस्तु की वास्तविकता समझ जाता है, उस दिन उसके तीनों तापों का उन्मूलन होजाता है। ध्रुव प्रसंग सुनाते हुए भरत जी ने कहा कि 5 वर्ष का बालक अपनी सत्य निष्ठा के कारण ही श्री नारायण को अपने सामने प्रकट करने में सफल हुआ। कार्यक्रम अयोजक रमेश दीक्षित ने समस्त श्रोताओं का आभार व्यक्त किया जहां अंत में आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया।
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