मोक्ष का प्रवर्तन योग से ही सम्भव: डा. वाजपेयी

मोक्ष का प्रवर्तन योग से ही सम्भव: डा. वाजपेयी

शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। आयुष ग्राम न्यास परिसर की साधना कुटी में बुधवार को त्रिदिवसीय योग दिवस समारोह का शुभारम्भ आयुष ग्राम गुरुकुलम् के आचार्यों एवं बटुकों द्वारा योगाभ्यास से किया गया। योगाभ्यास सत्र के बाद चर्चा सत्र का शुभारम्भ हुआ। आज के सत्र का शुभारम्भ आचार्य डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी पूर्व उपाध्यक्ष भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तर प्रदेश शासन एवं आयुष ग्राम न्यास के संस्थापक एवं अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्ज्वलन ककेर किया गया।
इस मौके पर आचार्य माता प्रसाद शुक्ल ने बताया कि योग के वास्तविक लाभ तभी प्राप्त हो सकते हैं। जब उसे शास्त्रीय विधि से यम और नियम का पालन करते हुए आसन की बढ़ा जाय, अन्यथा अशास्त्रीय और मनमाने ढंग से किया गया योग हानि पहुँचाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करता। डॉ. वेद प्रताप वाजपेयी ने कहा कि योग कोई ऐसा विज्ञान नहीं है जो परोक्ष रूप से फल देता हो या अगले जन्म में शुभ फल प्रदान करने की बात करता हो, बल्कि योग एक ऐसा विज्ञान है जो इसी जन्म में दुख की निवृत्ति, संतोष, सुख, शान्ति, उन्नति जैसे परिणाम देता है। साधना आयुर्वेद उपचारिका ने कहा कि योग की मुख्य दो धाराएँ प्रचलित हैं- हठ योग और राजयोग। हठ योग का उद्देश्य शरीर को आध्यात्मिक के मार्ग पर चलने योग्य बनाना है। शालू ने कहा कि राज योग में ऐसी उर्वरा शक्ति है जो प्रत्येक मानव के अंतःकरण में स्थित ज्ञान वृक्ष के मूल को अपनी उच्च प्रसादपूर्ण उर्जस्विता से ओत-प्रोत करता है।
डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि हठ योग शारीरिक स्वास्थ्य संतुलन की पद्धति है जबकि राज योग का अनुपालन करने से मानव अपने मन पर अधिकार कर लेता है। मन पर अधिकार कर लेना ही सर्वस्व की प्राप्ति है जबकि मन की दास्तां सर्वस्व पतन है। आचार्य डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी ने बताया कि प्रथम योग शास्त्र पातंजल योग दर्शन के रचनाकार ऋषि पातंजलि ने योग की सरल परिभाषा बताते हुए कहा कि जिससे चित्तवृत्तियों की चंचलता मिट सके, उसका नाम योग है। वास्तव में योग में इतनी सामथ्र्य है कि वह परमात्मा से विलग हुए जीवात्मा को परमात्मा में विलीन कर देता है। इसी का नाम परम सुख या मोक्ष है। सभी प्रकार की वेदनाओं की निवृत्ति कराने की सामथ्र्य केवल मोक्ष में ही है और मोक्ष का प्रवर्तन केवल योग द्वारा ही संभव है। इस अवसर पर आचार्य सर्व शिवसागर सिंह, शालिग राम मिश्र, आचार्य क्षितिज अग्रवाल, आचार्य व्रजकान्त मिश्र, आचार्य विनोद गर्ग, आयुष ग्राम न्यास के पदाधिकारी सर्व बाल्मीकि द्विवेदी, आलोक पाल आदि मौजूद रहे।

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