विश्व शान्ति मिशन गोरखपुर की मासिक गोष्ठी सम्पन्न
संजय कुमार
गोरखपुर। “मुद्दत से तारे गिन गिन कर कब शाम हुई कब रात ढली, तारे चंदा सब विदा हुए ढलने को मेहर अब बाकी है” वरिष्ठ रचनाकार अरुण ब्रह्मचारी ने विश्व शांति मिशन की मासिक गोष्ठी में अपनी यह रचना पढ़कर गोष्टी को एक नई दिशा प्रदान किया। जातव्य है की विश्व शांति मिशन गोरखपुर के तत्वावधान में प्रति माह की भांति इस माह भी मसिक कवि गोष्ठी का आयोजन हआ जहां जिसमें तमाम वरिष्ठ कवियों ने अपने रचनाओं से गोष्ठी को ऊंचाई प्रदान की। सर्वप्रथम सुमन वर्मा ने माता सरस्वती का आह्वान गीत गाकर गोष्ठी का शुभारंभ किया। तत्पश्चात वरिष्ठ शायर सुम्बुल हाशमी ने नाते पाक सुनाकर वाहवाही लूटी। इसके बाद संचालक के आह्वान पर नीलकमल गुप्त विक्क्षिप्त ने अपनी रचना “लज्जित नहीं जो पराजय से उसे क्या ज्ञात होगा भारत”, सुनाकर वाहवाही लूटी। तत्पश्चात रामस्वरूप सांवरा ने एक भोजपुरी रचना सुनाने के बाद गीत पढा़” मैं भूल ना पाऊंगा एहसान कभी तेरा, झूठी ही तसल्ली दो ताज़ा है जख्म मेरा”, उसके बाद अरविंद यादव अकेला ने भोजपुरी रचना “नेहिया की दूरी धरौली रही, मैंया ज्ञान की जोतियां जरौली रही”, सुनाकर भोजपुरी की उपस्थिति दर्ज कराया।
संचालक के आह्वान पर अध्यक्ष की अनुमति से अवधेश शर्मा नंद ने गजल सुनाया कि लगा बाजार झूठों का सही पहचान किसको है, बिके सब सागभाजी भाव इसका भान किसको है,”। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे दिनेश गोरखपुरी ने सब की रचनाओं की समीक्षा करते हुए अपनी पुस्तक कर्मफल से सुनाया “रागद्वेष निकट नहीं आवे, छल प्रपंच मन ही ना भावे,”। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ रचनाकार चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन, डा. बहार गोरखपुरी, डा. सत्य नारायण विश्वकर्मा पथिक, नगीना लाल प्रजापति, डा अविनाशपति त्रिपाठी आदि कवियों ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर वाहवाही लूटी। अध्यक्षता दिनेश श्रीवास्तव उर्फ दिनेश गोरखपुरी एवं संचालन नंद कुमार त्रिपाठी नंद ने किया। अंत में विश्व शांति मिशन के अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव उर्फ अरुण ब्रह्मचारी ने समस्त कवियों और शायरों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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