मां आशा फाउण्डेशन एवं ब्रह्मास्त्रा एकेडमी ने की काव्य गोष्ठी

मां आशा फाउण्डेशन एवं ब्रह्मास्त्रा एकेडमी ने की काव्य गोष्ठी

अमित त्रिवेदी
हरदोई। मां आशा फाउंडेशन व ब्रह्मास्त्रा एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में नव संवत्सर के आगमन की पूर्व वेला पर रविवार को ब्रह्मास्त्रा एकेडमी में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जहां कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बाँधा। कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम का शुभारम्भ अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि निशानाथ अवस्थी ने माँ शारदा के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। गोष्ठी की शुरुआत युवा गीतकार आदर्श सिंह की वाणी वन्दना से हुई।
इस मौके पर कवि उदयराज सिंह ने ” रामरूप में साक्षात अपवर्ग उतर आया है” गीत पढ़ वाहवाही लूटी। युवा कवि वैभव शुक्ल ने “जिसने प्रेम किया है, उसने एक बार तो गाई कविता” रचना पढ़ तालियां बटोरीं। गीतकार पवन प्रगीत ने ओ वसंत आओ, पुष्पित फुहार दो, हो सुगंधमय वसुंधरा संवार दो। “गीत पढ़ समां बाँधा। कवि अरविंद मिश्र ने “जब तक रहें चाहने वाले, तब तक ही बस जीना अच्छा” कविता पढ़ी। कवि इंद्रेश लकी ने “जीवन को संवारने में लगते हैं वर्षों कई, गुजरना पड़ता है विघ्न बाधाओं और संघर्षो से कोई।” कविता पढ़ी। गीतकार गीतेश दीक्षित ने “गमों की धूप में हूँ वफ़ा की छाँव बन जाओ शहर की बेरुखी छोड़ो हमारा गाँव बन जाओ” गीत पढ़ तालियां बटोरी। कवि धीरज श्रीवास्तव ने “पिछली बार नहीं आये पर, अबकी तो आ जाना पापा” कविता पढ़ी। कवयित्री आकांक्षा गुप्ता की रचना “अवध को भी लगा एक युग अयोध्या धाम होने में” सराही गई। युवा कवि कृतार्थ पाठक ने “अगर खुद पर भारोसा हो तो पर्वत तोड़ सकते हो” कविता पढ़ तालियां बटोरीं।
संचालक सतीश शुक्ल ने “धर्म सनातन अगर न होता अधरों पर मुस्कान न होती” कविता पढ़ वाहवाही लूटी। कवि अजीत शुक्ल ने नव संवतसर पर जग कल्याण पर “दूरियाँ दिल की मिटें, न कहीं संघर्ष हो। हर्ष हो, उत्कर्ष हो, ऐसा यहाँ नव वर्ष हो।” कविता सराही गई। कवि आदर्श गौर ने “कल से केवल राजभवन में राम सुनाई देगा” कविता पढ़ी। कवयित्री आकांक्षा सिंह ने “अब पहर दो पहर की प्रतीक्षा ही क्यों, पूरा जीवन समर्पित तुम्हारे लिए” गीत पढ़ वाहवाही लूटी। कवि मनीष मिश्र ने “बेटियों के बाप का यश मिल न पाया, भाग्य अच्छा नहीं था तो क्या करूँ” कविता पढ़ श्रोताओं को भावुक कर दिया। कवि अभिनव दीक्षित ने “बेटियों का बाप बन इतरा रहा हूँ” गीत पढ़ तालियां बटोरी। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि निशानाथ अवस्थी ने “जहाँ त्याग तपस्या जीवन को दर्शन, ऐसे भारत की माटी का सौ सौ बार नमन” कविता पढ़ देशभक्ति पूर्ण माहौल बनाया। कार्यक्रम संयोजक आकाश सोमवंशी ने आये सभी कवियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कोचिंग संचालक धर्मेंद्र सिंह, अध्यापक विजय श्रीवास्तव, सत्यम सिंह, आर्यन पटेल, शहबाज सिद्दीकी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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