Jaunpur News : परीक्षा के लिये बच्चे पढ़ें, डरे नहींः डा. हरिनाथ यादव
Jaunpur News : परीक्षा के लिये बच्चे पढ़ें, डरे नहींः डा. हरिनाथ यादव
मानसिक रोग विशेषज्ञ ने संगोष्ठी में बच्चों व अभिभावकों को दी सलाह
शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। श्री कृष्णा मानसिक रोग चिकित्सालय नईगंज में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मानसिक रोग चिकित्सक डा. हरिनाथ यादव ने बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों को कुछ सुझाव दिया। साथ ही कहा कि बोर्ड परीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड की परीक्षाएं भी शुरू होने वाली है। अच्छे नंबर लाने के लिए दिन-रात पढ़ाई के दबाव में परीक्षार्थी तनाव में आ रहे हैं।
हर अभिभावक की इच्छा है कि उनके बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करें। प्रदर्शन का यह मानक प्राप्तांक से जोड़कर देखने का चलन बन गया है। नंबर गेम के फेर में अभिभावकों ने उन पर उम्मीदों का बोझ लाद दिया है, इसे पूरा करने की कोशिश में बच्चे तनाव में जा रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि कोविड के दौरान छात्रों को परीक्षाओं के मानसिक तनाव से तकरीब 2 सालों तक दूर रहना पड़ा था परंतु इस साल स्कूल खुल चुके हैं। परीक्षाएं अपने पुराने पैटर्न के अनुसार कराए जाने वाली हैं। इसको देखते हुए इस साल छात्रों को पहले से भी ज्यादा मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा। उनके दिमाग में कई तरह की बातें उलझाने चल रही हैं। ढेरों उतार-चढ़ाव के बीच स्टूडेंट्स खुद को परीक्षाओं के लिए तैयार कर रहे होंगे परंतु ऐसा नहीं होना चाहिए।
हालांकि ऐसा न हो, इसके लिए बहुत सारे उपायों को अपनाया जा सकता है परंतु उससे पहले जरूरी है कि उनके दिमाग में चल रहे तनाव के अलग-अलग कारणों को करीब से समझा जाए और एग्जाम के वक्त यह हर पेरेंट्स की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह इस वक्त अपने बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डाले बिना उनकी मनोदशा के प्रति सतर्क हो जायं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 5 सालों में तकरीबन 50000 छात्रों ने परीक्षाओं के तनाव के कारण आत्महत्या की है। यह आंकड़े किसी भी तरह से चौंकाने वाले हैं। लक्षण के बारे में डा. यादव ने बताया कि परीक्षा नजदीक आने पर बच्चों की मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है। उनमें घबराहट, बेचैनी, चक्कर आना, नींद और भूख न लगने की समस्याएं बढ़ जा रही हैं। कारण पर चर्चा करते हुये बताया गया कि आम तौर पर देखा जाए तो स्टूडेंट्स ने मानसिक तनाव के कुछ खास कारण हो सकते हैं। इनमें पहला हो सकता है परीक्षा को लेकर पूरी तरह से तैयार न होना।
दूसरा हो सकता है अभिभावक का बच्चों से आवश्यकता से अधिक उम्मीद करना जो बच्चों के दिमाग पर किसी भार से हावी हो जाता है। तीसरा हो सकता है परीक्षा को लेकर ठीक रणनीति का न बन पाना। चौथा हो सकता है शारीरिक बीमारियों का होना। जैसे एनीमिया, अस्थमा इत्यादि पांचवें कारण में इसको लेकर मानसी बीमारियां भी जिम्मेदार हो सकती हैं। जैसे पहले से ही डिप्रेशन या अनिद्रा का शिकार होना पिछड़ा हो सकता है। छात्र का अपने ऊपर परीक्षा परिणाम को लेकर अत्यधिक आंतरिक दवा बनाना वह कारण हो सकते हैं जो परीक्षा के इस रशियन समय पर किसी भी स्टूडेंट को परेशान कर सकते हैं। ऐसे में बात सिर्फ बोर्ड परीक्षा की ही नहीं, बल्कि किसी भी तरह की परीक्षा को फेस करने जा रहे हैं स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को इस वक्त एस्ट्रा अवेयर हो जाने की जरूरत है।
अभिभावकों को सुझाव देते हुये डा. यादव ने बताया कि अभिभावकों के मन में भी सवाल आ रहा होगा कि कैसे? कैसे आप अपने बच्चों की मनोज स्थिति को समझें और उनका हल निकाले तो जवाब है कि अपने बच्चों की मनोज तिथि को अभिभावक से बेहतर भला कौन समा सकता है? आपको भी अगर ऐसा लग रहा है कि परीक्षा शुरू होने से पहले आपका बच्चा कुछ परेशान से नजर आ रहा है तो इस वक्त उसके पास बैठे और उसकी मनोस्थिति को थोड़ा और करीब से समझने की कोशिश करें। इसके बाद कुछ बारीकी चीजें हैं जिन्हें अपने बच्चों के लिए आप फालो करके उनकी उलझन को कुछ कम कर सकते हैं। इस बात पर नजर रखें कि आपका बच्चा परीक्षा की तैयारी निश्चिंत होकर कर रहा है या नहीं। परीक्षा में सम्मिलित हो रहे बच्चों को सुझाव देते हुये उन्होंने बताया कि बच्चों को चाहिए कि सबसे पहले वे अपनी पढ़ाई या रिवीजन का एक निश्चित टाइम टेबल बना लें। पढ़ाई में खोकर खानपान में लापरवाही न करें। आज के बच्चों को नियमित योग प्राणायाम से बहुत फायदा होगा। खास तौर पर एग्जाम के समय में हो तो अवश्य इन्हें ट्राई करें और इसका असर देखें। पाठ्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण भाग को पहले तैयार करें और उसको निरंतर दोहरा कर परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकने की तैयारी पूरी कर लेनी चाहिये।
उसके बाद अन्य भाग को पढ़ना चाहिये। साथ ही अब लास्ट टाइम में किसी भी तरह के डाउट को अपने दिमाग पर हावी न होने दें। अगर कुछ ऐसा छूट भी गया हो तो उसके प्रेशर से बाकी की तैयारी पर असर न पड़ने दें। खुद को कूल एंड फ्रेश रखिए अगर शरीर में कमजोरी सांस लेने में दिक्कत, अवसाद, अनिद्रा जैसी समस्याएं हो तो अभिभावक बिना देरी किए अपने चिकित्सक से परामर्श लें। अभिभावक को अपने बच्चों को एक बात बिल्कुल बता देनी चाहिए कि वह अपने बच्चों को परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद उतना ही प्रेम व स्नेह करते रहेंगे। साथ ही अभिभावक बच्चों का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाने हेतु उन्हें यह भी समझाएं कि यह कोई जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है। ऐसी बहुत सी परीक्षाएं आएंगी छात्र को उनका बहादुरी से सामना करना है। अभिभावक हमेशा उनके साथ हैं। संगोष्ठी में डा. सुशील यादव, प्रतिमा यादव, अजीत सिंह, संतोष यादव, ब्यूटी यादव, लालजी यादव, दीपक पाण्डेय, अनिल यादव, संदीप, रवि, विवेक, अवनीश, विपिन, प्रवीन बानो, प्रियंका प्रजापति सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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