भोजपुरी लोक संगीत की परम्परा को बताना जरूरी: अमित

भोजपुरी लोक संगीत की परम्परा को बताना जरूरी: अमित

सत्यम कुमार उपाध्याय
कैमूर (बिहार)। जिले के औरईयाँ देव निवासी अमित लाल यादव ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा से स्नातक एवं प्रयोग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत प्रभाकर तक शिक्षा प्राप्त किए हैं। उनका कहना है कि भोजपुरी लोक संगीत बेहद समृद्ध है, भोजपुरी प्रदेश की संस्कृति व सभ्यता कि अभीव्यक्तित्व भोजपुरी के पारंपरिक गीतों में होती है।

भोजपुरी के लोक संगीत में माटी का रस-गंध व सौंदर्य निहित है। वहीं अमित लाल यादव का कहना है कि कुछ भोजपुरी कलाकार सस्ती लोकप्रियता के लिए भोजपुरी संगीत के छवि को धूमिल कर रहे हैं। इसके लिए भोजपुरी प्रदेशों खास तौर से यूपी बिहार के सरकार को सेंसर बोर्ड बनाना चाहिए जो अश्लील द्विअर्थी एवं फूहड़ता से भरे भोजपुरी गीतों के गायन प्रसारण फिल्मकन तौर पर रोक लगाए इसके अलावा केंद्र सरकार को भी लोक संगीत को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए यूं तो भोजपुरी लोक संगीत के कई रंग रूप हैं लेकिन अमित लाल यादव का दिलचस्प खास तौर से पूर्वी झूमर, सोहर व विवाह के गीतों के गायन प्रति ज्यादा है। आजकल भी नई पीढ़ीयों के मस्तिक पर फिल्मी गीतों के धुन हावी है। इसके अलावा हमारे लोक जीवन से आल्हा, लोरिकाइन, सोरठी, बृजभार आदि अनेक लोक संगीत लुप्त हो रहे हैं। इनका संरक्षण बहुत जरूरी है।

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