मक्के की फसल में फाल आर्मी वर्म कीट पहुंचा सकता है भारी नुकसान

मक्के की फसल में फाल आर्मी वर्म कीट पहुंचा सकता है भारी नुकसान

एम. अहमद
श्रावस्ती। जिलाधिकारी कृतिका शर्मा के निर्देश पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी अनिल प्रसाद मिश्रा ने बताया कि वर्तमान जलवायु फाल आर्मी वर्म ( Spodoptera frugiperda ) के लिए अनुकूल है। विगत वर्षों में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में इसका प्रकोप देखा गया। यह एक बहुभोजी (Polyphagous) कीट है जिसके कारण मक्का के साथ अन्य फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं तथा गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुँचा सकता है। ऐसे में इस कीट की पहचान एवं प्रबन्धन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है।
इसकी पहचान हेतु इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है, कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे दे देती है। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अण्डे देकर सफेद झाग से ढक देती है। अण्डे हल्के पीले (क्रीम कलर) या भूरे रंग के होते हैं। सर्वप्रथम फाल आर्मी वर्म तथा सामान्य सैनिक कीट (Army Worm) में अन्तर जानना आवश्यक Fall Army Worm का लार्वा भूरा धूसर रंग का होता है तथा इसके पार्श्व में तीन पतली सफेद धारियों और सिर पर उल्टा अंग्रेजी अक्षर का वाई (Y) दिखता है। शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार गहरेबिन्दु दिखाई देते हैं तथा अन्य खण्डों पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते हैं।
क्षति का स्वरूप- इस कीट की प्रथम अवस्था सूडी (लार्वा) सर्वाधिक हानिकारक होती है। सामान्यतः यह कीट बहुभोजी होता है। लगभग 80 फसलों पर अपना जीवन चक्र पूरा कर सकता है जिसमें मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं एवं गन्ना प्रमुख है परन्तु मक्का इस कीट की रूचिकर फसल हैं। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में हानि पहुँचाता है। यह कीट मक्का के पत्तियों के साथ बाली को भी प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधों के गोभ के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता हैं। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार अवस्था में पत्तियों में छिद्र एवं पत्तियों के बाहरी किनारों पर इस कीट द्वारा उत्सर्जित पदार्थों से की जा सकती है। उत्सर्जित पदार्थ महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है। इसके प्रबन्धन के लिए फसल की नियमित निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। प्रकोप की दशा में जनपद के विभागीय अधिकारियों को तत्काल सूचित करें।
प्रकोप दिखाई देने पर सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के व्हाट्सएप नम्बरों कमशः 9452247111 एवं 9452257111 पर फोटो खीचकर भेजे जिसका समाधान 48 घण्टे के अन्दर किया जायेगा। यांत्रिक विधि के तौर पर सॉयकाल (7 से 9 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 8 से 10 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाना चाहिए। फॉल आर्मी वर्ग के अण्डे इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए। 5 प्रतिशत पौध तथा 10 प्रतिशत गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु ब्यूवैरिया बैसियाना 2.50 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम ऑयल 5 मिली0 प्रति लीटर पानी (2.50 लीटर प्रति हे0) में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। 10-20 प्रतिशत क्षति की अवस्था में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस०सी० 0.4 मिली0 प्रति लीटर पानी (200 मिली0 प्रति हे0) अथवा इमामेक्टिन बेनजोइट 04 ग्राम प्रति लीटर पानी (200 ग्राम प्रति हे0) अथवा थायामेथाक्सॉम 2.6 प्रतिशत ़ लैम्ब्डासाइहैलोथिन 9.5 प्रतिशत 0.5 मिली0 प्रति लीटर पानी (250 मिली0 प्रति हे0) की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

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