बीमारी नहीं महँगी जाँच से टूट रही कमर!
बीमारी नहीं महँगी जाँच से टूट रही कमर!
जांच के नाम पर मरीजों से हो रही लूट
राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर, टायफाइड जैसी बीमारियों की जांच में निजी स्वास्थ्य सेवाएं देने वालों की चांदी काट रहे हैं। पैथोलॉजी हो या प्राइवेट अस्पताल हर जगह आने वाले मरीजों के साथ लूट का खेल चल रहा है। खासकर पैथोलाजियों में जांच के नाम पर जमकर मरीजों को लूटने का खेल चल रहा है। दर्जनों पैथोलॉजी पर अल्ट्रासाउण्ड, खून की जांच की जाती है। मानक के मुताबिक हर पैथोलॉजी में एक पैथोलॉजिस्ट जरूर होना चाहिए। इसके अलावा जरूरत के मुताबिक प्रशिक्षित लोगों से काम करवाना चाहिए। मेडिकल कचरे के निस्तारण का भी कोई सहीं जगह पर हो। मरीजों से लूट पर लगाम लगाने के लिए हर जांच के रेट एक बोर्ड पर दर्ज होना चाहिए लेकिन जिले के ज्यादातर पैथोलॉजी सेंटर कुछ मानकों पर ही अमल कर रहे है। न इन सेंटरों पर हर वक्त पैथॉलोजिस्ट मौजूद रहते हैं। न यह मेडिकल कचरे का सही तरीके से निस्तारण करते हैं। डाक्टर को मोटा कमीशन (तकरीबन 40 प्रतिशत) देने के फेर में यह सेंटर जांच करवाने के लिए आये मरीज की जेब पर जमकर डाका डालते हैं। इन सेंटरों पर सम्बंधित जांच की कोई रेट लिस्ट भी नहीं लगी है। वह मन मुताबिक मरीजों से जांच के नाम पर रुपये वसूलते हैं। अब तो मरीज और तीमारदारों को बीमारी से कम जबकि जांच और प्राइवेट नर्सिंग होम के डॉक्टर से ज्यादा डर लगता है। अभी जिले में संजय गांधी हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया के ओवर डोज से हुई मौत को कुछ ही दिन बीते थे कि जिले की दूसरी हॉस्पिटल केया नर्सिंग होम में भी यही लापरवाही सामने आई। मामले में कोई जिम्मेदार मुंह खोलने को तैयार नहीं है जिले का स्वास्थ्य विभाग की आंखों पर घुसखोरी का चश्मा चढ़ा हुआ है यहां तक जिले में हर प्रमुख चौराहों एवं बाजारों में बंगाली क्लीनिक, अंसारी क्लीनिक, ये नर्सिंग होम, वो नर्सिंग होम की बहुतायत नियम, कानून, मानक की अनुपलब्धता के साथ मिलेगी।
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