अनुराग से दूरी नजदीकी में बदली और जीत गयीं अनुप्रिया

अनुराग से दूरी नजदीकी में बदली और जीत गयीं अनुप्रिया

18366 वोटों की निर्णायक बढ़त चुनार विधानसभा से मिली

चुनार विधायक के जी-तोड़ मेहनत से विधानसभा में मिली बढ़त

डा. सुनील कुमार
मिर्जापुर। लोकसभा की प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल की जीत का श्रेय चुनार विधायक अनुराग सिंह को जाता है। भाजपा के अनुराग सिंह लोकसभा में अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल के प्रतिद्वंद्वी माने जाते रहे। कारण भाजपा से वह भी लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। साथ ही सपा के बाल कुमार को कड़ी टक्कर भी दी थी। हालांकि हम बात कर रहे हैं लोकसभा चुनाव की। मिर्जापुर लोकसभा मतगणना में अंतिम समय तक दोनों प्रत्याशियों की सांसें रुकी हुई थीं। दोपहर तक सपा प्रत्याशी रमेश बिंद लगातार बढ़त बनाये हुए थे लेकिन दोपहर बाद उनकी बढ़त धीरे-धीरे कम होती रही। सुबह से ही भाजपा-अपना दल (एस) प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल जनपद की 5 विधानसभा में से 4 विधानसभाओं में लगातार पीछे चल रही थी लेकिन चुनार विधानसभा में पहले चक्र से लेकर अंतिम चक्र तक लगातार बढ़त बनाए हुई थी। मिर्जापुर लोकसभा कुर्मी बाहुल्य होने के कारण अनुप्रिया पटेल पिछले दो बार से आसानी से चुनाव में जीत दर्ज करती आ रही थीं लेकिन इस बार कुर्मियों में उनके प्रति भारी नाराजगी होने का कारण कुर्मी बाहुल्य मड़िहान विधानसभा 7059 वोटों से हार गई। पूरे जनपद का एक मात्र चुनार विधानसभा ऐसा रहा जहां अनुप्रिया पटेल को सबसे ज्यादा 18366 वोटों की निर्णायक बढ़त मिली। मिर्जापुर से लगातार दो बार से सांसद होने की वजह से अनुप्रिया पटेल ने भाजपा जिला संगठन में अधिकतर अपने लोगों को पदाधिकारी बनवाया था। जानकार बताते हैं कि भाजपा जिलाध्यक्ष अपने कार्यालय में कम अपना दल के कार्यालय में ज्यादा पाये जाते थे। इन सबके बावजूद भाजपा के लगभग सभी पदाधिकारी इस चुनाव में अपना बूथ हार गये जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष का बूथ भी शामिल है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार चुनार में मौजूदा विधायक अनुराग सिंह की कुर्मी के साथ पिछड़े वर्ग में मजबूत पैठ है जिसका असर चुनाव नतीजे में देखने को मिला। मिर्जापुर के चुनार और मड़िहान विधानसभा में सबसे ज्यादा कुर्मी मतदाता है जिसमें चुनार में लगभग 1.5 लाख और मड़िहान में लगभग 1.15 लाख कुर्मी मतदाता है। राजनैतिक गलियारों में ये चर्चा रहती है कि अनुप्रिया पटेल और चुनार विधायक अनुराग सिंह के बीच रिश्तों में कडुवाहट लंबे समय से है। इसका कारण दोनों का कुर्मी समाज से होना बताया जाता है। देखा जाय तो कुर्मी बाहुल्य मड़िहान में अनुप्रिया पटेल का बुरी तरह से हारना यह दर्शाता है कि मिर्जापुर का कुर्मी मतदाता इनसे काफी नाराज था लेकिन इस चुनाव में अनुराग सिंह ने अपनी विधानसभा में निर्णायक बढ़त दिलाकर यह साबित कर दिया कि मिर्जापुर में वह कुर्मियों के नेता है और उनकी इस वर्ग पर मजबूत पकड़ है।
मिर्जापुर में अक्सर देखने को मिलता है कि अनुराग सिंह उन कार्यक्रमों से दूरी बनाये रहते है जो कार्यक्रम अनुप्रिया पटेल का होता है, वह उसी मंच पर दिखाई देते हैं जिस पर भाजपा के बड़े नेता होते हैं। जानकार बताते हैं कि इतनी कडुवाहट के बावजूद अनुराग पूरे चुनाव भर अपनी विधानसभा में रहकर ऐसा जाल बिछाये कि विपक्षी उसको भेद नहीं पाये। यही कारण रहा कि कुर्मियों का अनुप्रिया से नाराज होने के बावजूद अनुराग ने उनकी बादशाहत बचा लिया। अब देखना दिलचस्प होगा कि दोनों के बीच यह अदावत हमेशा के लिए खत्म हुई है या फिर लोकसभा चुनाव के लिए। क्षेत्रीय लोगों में यह चर्चाएं तेजी से चल रही है।

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