सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने की और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय

सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने की और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय

मुकेश तिवारी
झांसी। बुंदेलखंड क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी को विश्वविद्यालय हित में प्रयोग करने के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने उपाय करने शुरू कर दिए हैं। भारत सरकार के ग्रीन एनर्जी इनिशिएटिव के देखते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने अपने कैंपस में सोलर एनर्जी का उत्पादन प्रारम्भ कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयास के प्रथम चरण में 250 किलो वाट सोलर एनर्जी का उत्पादन प्रारम्भ हो गया है। Jaunpur News : एक सप्ताह से थाना व चौकी का चक्कर लगा रहा पीड़ित, फिर भी नहीं दर्ज हुआ मुकदमा250 किलो वाट में 200 किलोवाट की उत्पादन इकाई एचडीएफसी बैंक द्वारा अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के अंतर्गत किया गया है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों की छतों में सोलर प्लांट के पैनल लगाए गए हैं जिससे सोलर एनर्जी का उत्पादन भी होगा और छत पर सीधी धूप नहीं पड़ने से ऊपरी तल पर स्थित कमरों में गर्मी का प्रभाव कम होगा जिससे कमरों में तापमान कम करने के लिए कूलर और एयर कंडीशनर की कम आवश्यकता होगी। नए लगाए गए सोलर प्लांट आधुनिक तकनीक से बनाये गए हैं जिससे अधिक सोलर एनर्जी का उत्पादन होगा और समय समय पर धूल जम जाने के कारण उत्पादन में होने वाली कमी को रोकने के लिए आटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाए गए हैं जो समय समय पर सोलर पैनल को साफ़ करते रहेंगे। इससे सूर्य की किरणें पूरी तरह पैनल पर आ सकेंगी।
स्टैण्डर्ड कंडीशन में एक किलोवाट के सोलर प्लांट से 4-5 यूनिट बिजली प्रतिदिन का उत्पादन होता है। 250 किलो वाट की सोलर क्षमता से प्रतिदिन लगभग 1250 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और एक वर्ष में 4,56,250 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा जिसकी कीमत लगभग रु 45 लाख होगी। इस तरह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एक वर्ष में 45 लाख रुपये की बिजली के बिल में बचत करेगा या इतनी प्रतिवर्ष आय होगी। सोलर पैनल लगभग 20 वर्ष तक सही प्रकार से कार्य करता है। इस प्रकार 20 वर्ष में लगभग 9,12,50,000 की बचत होग। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के इस ग्रीन इनिशिएटिव से एक ओर पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी। वहीं विश्वविद्यालय के धन की बचत होगी। सोलर क्षमता में हो रही वृद्धि पर आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडेय द्वारा आने वाले समय में यह क्षमता और अधिक बढ़ाकर विश्वविद्यालय को सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाये जाने की रणनीति पर कार्य करने के लिए कहा।
सोलर प्लांट को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र छात्राओं के लिए प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग करने के निर्देश दिये, ताकि छात्र छात्राओं को इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त हो सके और सोलर प्लांट का संरक्षण भी विद्यार्थिओं और विभाग के शिक्षकों द्वारा किया जाय। कुलसचिव विनय सिंह ने परिसर के पूरी रात सोलर स्ट्रीट लाइट से प्रकाशमान होने पर हर्ष व्यक्त करते हुये पर्यावरण संरक्षण में विश्वविद्यालय के योगदान को और बढ़ाने पर जोर दिया। वित्त अधिकारी वसी मोहम्मद ने बताया कि भविष्य में सोलर एनर्जी को बढ़ाने के लिए बजट में और प्रावधान किया जायेगा, ताकि विश्वविद्यालय आत्मनिर्भर हो सके।

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