NEET रिजल्ट के धांधली में न्याय के साथ-साथ कठोर कानून जरूरी: ईं आरके जायसवाल
नई दिल्ली। हमारे देश में कई तरह के प्रतियोगिता परीक्षा समय-समय पर आयोजित की जाती है और कई बार कुछ विवाद पैदा होते ही खत्म भी हो जातीं हैं। इसी साल 5 मई को नीट की परीक्षा आयोजित हुई और 4 जून को एनटीए ने रिजल्ट जारी किया। नीट परीक्षा देश भर के 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर आयोजित हुई। इस परीक्षा में 24 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए। यह डाक्टर उम्मीदवारों के लिए आयोजित की जाने वाली एक एकल-स्तरीय राष्ट्रीय परीक्षा है जो उन्हें देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों में मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने में सक्षम बनाती है।
यह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और एकमात्र प्रवेश परीक्षा है जो चिकित्सा पेशे के लिए दरवाजे खोलती है। इस वार नीट का रिजल्ट जारी होते ही नीट के छात्रों व एक्सपर्ट्स ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी, फिर मामले में सच्चाई होने बजह से और गंभीर पकड़ता चला गया। अब सवाल उठता है कि क्या कुछ लाभार्थी छात्रों को गिरफ्तार कर या एग्जाम दोबारा लेकर 24 लाख छात्रों और उन सबके परिवारों के लिए न्याय कहा जा सकता ? उन असमर्थ परिवारों के लिए न्याय कौन करेगा जिन्होंने अपने बच्चों कि पढ़ाई में सब कुछ दांव पर लगा देते हैं।
नीट के छात्रों व एक्सपर्ट्स के बातों पर ग़ौर करें तो आरोप बेहद गंभीर है, जैसे जहां हर साल एक या अधिकतम दो टॉपर निकलते हैं, वहीं इस साल कुल 67 टॉपर हैं और इन सभी को परफेक्ट 720 अंक मिले हैं ये कैसे हुआ ? इस बार के बहुत से नीट टॉपर्स एक ही सेटर से हैं और परीक्षा से पहले कई सेंटर पर पर्चा लीक होने की खबर भी आई थी। वहीं एनटीए ने कहा कि परीक्षा में 1563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिया गया। छात्रों ने एनटीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि खास सेंटर्स के स्टूडेंट्स को ही ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए जबकि पेपर लेट कई सेंटर्स पर हुए थे। इस रिजल्ट में कुछ छात्रों को जिनकी रैंक भी 68 और 69 आई है, 718 और 719 नंबर दिए गए, जोकि नीट की मार्किंग स्कीम के हिसाब से संभव नहीं हैं। वहीं कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए ग्रेस मार्क वाले छात्रों के लिए नीट का दोबारा एग्जाम 23 जून को और 30 जून को रिजल्ट जारी करने के लिए कहा है और मामले को लेकर 8 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए आदेश दिया है।
अब आगे हमारे सभी सरकारी तंत्र सहित देश के जांच एजेंसी का जिम्मेदारी बनती है कि देश के लाखों विद्यार्थी भविष्य व उनके परिवारों सपनों पर कोई ग्रहण बन कर न आए इसलिए सबसे पहले एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) को निरस्त कर देना चाहिए। भविष्य में इस तरह के किसी भी विवाद में दोषीयों के लिए कठोर से कठोर कानून बनना चाहिए ताकि हम सबके जीवन रक्षक के रूप में धरती पर भगवान कि ख्याति प्राप्त करने बाले डाक्टर स्वरूप के हमारी जीवन का डोर सही हाथों में हों। वहीं इस परीक्षा की जांच CBI या NIA या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करानी चाहिए और किसी भी राजनीतिक लाभार्थी विवादों से भी बचना चाहिए ताकि आगे किसी भी बच्चे के कैरियर के साथ खिलवाड़ नहीं हो।
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